2024 Election : निशाने पर थे लालू यादव, मगर नीतीश कुमार पर बड़ी चोट कर गए पीएम मोदी!

रिपब्लिकन न्यूज, पटना/दरभंगा

by Editor One

2024 Election में अब गोधरा कांड जिंदा हो गया है। किसी और ने नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे जिंदा किया है। लेकिन, वह बिहार में लालू प्रसाद पर हमला करते हुए कुछ ऐसा बोल गए कि नीतीश कुमार का पुराना घाव उभर आया।

नीतीश कुमार का भी घाव चोटिल हुआ होगा

Nitish Kumar को चोटिल कर गए Narendra Modi

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में नहीं थे। कई बार से यह दिख रहा है। और, शनिवार को तो हद ही हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुले मंच से गोधरा कांड को याद करते हुए कुछ ऐसा बोल दिया कि चोट लगनी तो चाहिए राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को, लेकिन कहीं-न-कहीं भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी जनता दल यूनाईटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार का भी घाव चोटिल हुआ होगा। वह मंच पर होते तो शायद चेहरे का हाव-भाव बदल भी जाता। क्योंकि, गोधरा कांड के समय देश के रेल मंत्री नीतीश कुमार थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाद में रेल मंत्री बने लालू प्रसाद यादव की साजिश का जिक्र करते हुए थोड़ा भटक गए। भीषण गर्मी में दरभंगा की सभा के दरम्यान मंच पर पानी पीने के बाद पीएम मोदी ने क्या कहा, वह आगे शब्दश: पढ़ें।

PM Narendra Modi : पीएम मोदी से हो गई बड़ी गलती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झारखंड में सभा के बाद इसी गर्मी में दरभंगा आए थे। वह पानी पीकर आगे बोलने लगे तो वाक्य विन्यास में कुछ ऐसी गलती भी कर बैठे, जिसे महागठबंधन के नेता मुद्दा बनाएंगे। पीएम मोदी ने कहा- “आरजेडी का इतिहास सामाजिक न्याय का मुखौटा लगाकर हमेशा तुष्टीकरण करने का रहा है। जब गोधरा में कारसेवकों को जिंदा जलाया गया था, तब रेल मंत्री यह शहजादे (तेजस्वी यादव को निशाने पर लेते हुए) के बेटे (पिता, कहना चाहते होंगे) थे, जो सजा काट रहे हैं और जमानत पर घूम रहे हैं। उन्होंने दोषियों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक जज की कमेटी बनाई- बेनराजी कमेटी। सोनिया मैडम का राज था न! इसलिए उन्होंने बेनराजी कमेटी बनाई। उस जज का नाम बनर्जी था, लोग बेनाराजी बोलते थे। उससे ऐसी रिपोर्ट बनवाई कि 60 कारसेवकों को जलाने वाले छूट जाएं। लेकिन, वह रेल मंत्री जो अभी जेल में जिंदगी गुजारने के लिए मजबूर हैं, जमानत पर घूम रहे हैं। अदालत ने उनकी इस रिपोर्ट को कूड़े-कचरे में फेंक दिया और उन सबको सजा सुनाई। फांसी तक की सजा सुनाई। पूरी दुनिया को पता था कि कारसेवकों को जिंदा जलाया गया था, लेकिन तब फर्जी जांच रिपोर्ट बनवाकर कासेवकों पर ही दोषी साबित करने की साजिश रची गई। यही इनका इतिहास है। यही इनकी सच्चाई है। हमें बिहार को लालटेन के दौर में वापस नहीं जाने देना है।”

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Godhra Kand : तब रेल मंत्री थे नीतीश कुमार

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2004 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में रेल मंत्री बने लालू प्रसाद यादव की बनाई बनर्जी कमिटी की चर्चा कर रहे थे। इस क्रम में वह ‘शहजादे के बेटे’ तो बोल ही गए, उसके ठीक पहले यह भी बोल गए कि ‘तब रेल मंत्री’। जब गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के अंदर कारसेवकों को जलाया गया था, उस समय देश में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार थी और रेल मंत्री नीतीश कुमार थे। ट्र्रेन में आगजनी से तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और रेल मंत्री नीतीश कुमार भी आहत थे, लेकिन बाद में गुजरात दंगों के आधार पर ही मूलत: मोदी-नीतीश के विचारों में दूरी आई थी। यही दूरी कई बार बीच-बीच में उभरी, जिसके कारण नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से बाहर भी हुए। पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का नाम प्रस्ताविक किए जाने पर यह विरोध साफ-साफ उभरा था। दरभंगा की सभा में पीएम मोदी सीधे तौर पर लालू प्रसाद यादव की साजिशों का हवाला दे रहे थे, लेकिन वाक्य विन्यास में गड़बड़ी के कारण पहले तब रेल मंत्री और शहजादे के बेटे जैसी बात बोल गए- यह गर्मी में उनके चेहरे से भी दिख रहा था।

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