Bihar News में अगले एक-दो दिन खूब जमकर चर्चा रहेगी नए अपराध नियंत्रण कानून की। बिहार विधानसभा में संशोधन के साथ कानून पास हो गया। इस कानून में बहुत सारी सख्ती है। आम आदमी से जुड़े भी नियम हैं और सख्त।
What is Law… अगर यह सवाल है आपका, तो पढ़े पूरी खबर
बिहार में अपराध नियंत्रण के लिए नया कानून बन गया है। बिहार विधान सभा (Bihar Vidhan Sabha Live) में अभी-अभी यह पास हो गया है। बहुमत की नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सरकार ने 1981 के पुराने कानून को कमजोर बताते हुए नए आपराधिक कृत्यों और संसाधनों-सुविधाओं के हिसाब से इसे अपडेट किया है। बिहार अपराध नियंत्रण कानून 2024 (Bihar New Law) में जमीन-बालू के माफिया पर तो सख्ती है ही, साइबर क्रिमिनल (Cyber Crime) और शराब के धंधेबाजों पर भी सख्ती बढ़ाई गई है।
इन सभी के साथ बिहार (Bihar) में अब पुलिस-प्रशासन के अफसरों की ताकत बढ़ गई है। लेकिन, अगर आप खुद को आम आदमी की श्रेणी में पाते हैं तो आपके लिए भी कानून में कुछ अहम बातें हैं। सबसे बड़ी बात सीसीटीवी कैमरे (CCTV Camera) को लेकर है, जो सीधे तौर पर आपसे जुड़ी है।
पहले CCTV Camera को अनिवार्य किया, अब…
बिहार की राजधानी पटना समेत कई शहरों में नगर निगम ने सीसीटीवी कैमरा (Camera CCTV) लगाना अनिवार्य कर दिया था, खासकर अपार्टमेंट या बड़े भवनों में। यह निर्देश आए कई साल गुजर गए, हालांकि नहीं लगाने वालों पर अभी कार्रवाई शुरू नहीं हुई है। राजधानी पटना समेत कई शहरों में लोगों ने निगम के आदेश या अपनी इच्छा से सीसीटीवी कैमरे अपार्टमेंट या भवन परिसर के अंदर और बाहर लगा चुके हैं। एक-एक अपार्टमेंट ऐसे हैं, जहां 40-40 कैमरे भी लगे हैं। अब इन सभी सीसीटीवी कैमरों का सीसीटीवी फुटेज 30 दिनों तक सुरक्षित रखना अनिवार्य कर दिया गया है। मतलब, अपने डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर (DVR) की मेमोरी ठीक रखनी पड़ेगी और इसे देखते भी रहना पड़ेगा कि रिकॉर्डिंग का बैकअप कम-से-कम 30 दिनों का सुरक्षित रहे। पहले न तो यह कानून था और न ऐसी सख्ती का प्रावधान, लेकिन अब नए कानून के तहत पुलिस-प्रशासन इस बात की तसदीक करता है कि सीसीटीवी फुटेज 30 दिनों का सुरक्षित नहीं रखा गया है तो कानूनन कार्रवाई होगी।
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तलाशी के दौरान का वीडियो फुटेज मिलेगा
नए कानून में प्रावधान नहीं था, लेकिन विधेयक पास होने से पहले कांग्रेस के अजित शर्मा की मांग पर कानून में संशोधन को स्वीकार करते हुए यह व्यवस्था भी बनाई गई कि नए कानून के तहत तलाशी लेने के दौरान पुलिस-प्रशासन के अधिकारी इसकी रिकॉर्डिंग भी करेंगे और उसकी एक प्रति उस व्यक्ति को भी उपलब्ध कराएंगे। मतलब, जिसकी तलाशी ली गई, उसके पास भी इसका एक प्रमाण रहेगा कि उस दौरान क्या-क्या हुआ और क्या नहीं।