KK Pathak News : राबड़ी CM, साधु यादव को दिखाई हनक, सफाईकर्मी से करवाया उद्घाटन, सुशील मोदी ने कहा सनकी, सबको हड़काया

by Republican Desk
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Bihar News में बात उस आईएएस अधिकारी केके पाठक की जिन्होंने शिक्षा मंत्री तक को कुर्सी छोड़ने पर मजबूर कर दिया है। लेकिन उनके हनक और ठसक की कहानी के सामने मंत्री का हटना तो कुछ भी नहीं है। आइए जानते हैं केके पाठक से जुड़ी दिलचस्प बातें।

केके पाठक की हनक व ठसक का साधु यादव भी हुए शिकार

वैसे तो खाकी वर्दी पहनकर रील्स बनाने वाले पुलिसकर्मियों को हम सुपर कॉप मानते हैं। छापेमारी करते यूट्यूब और फेसबुक पर अपना वीडियो डालकर लाखों व्यूज बटोरने वाले किसी आईएएस अधिकारी को देख हमारे अंदर भी आईएएस बनने की तमन्ना जाग उठती है। लेकिन केके पाठक बन जाना कोई आसान काम नहीं है। सरकार में रहते हुए सरकार से ही लड़ जाना, केके पाठक ही कर सकते हैं। सरकार पर यह दवाब बनाना कि या तो वे रहेंगे या मंत्री, ऐसा केके पाठक ही कर सकते हैं। कभी राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री रहते उनके भाई और तत्कालीन सांसद साधु यादव से भिड़ जाना और उन्हें अपनी हनक दिखाना, यह केके पाठक की ही कहानी है। ये वही केके पाठक हैं जिन्हें फेम इंडिया मैगजीन ने भारत के 50 सरदार ब्यूरोक्रेट्स की सूची में शामिल किया था। बिहार में इस समय केके पाठक की चर्चा इसलिए भी है क्योंकि वह एक ऐसे अधिकारी बनकर सामने आ गए हैं जिनके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विभागीय मंत्री को ही हटा दिया। मतलब, केके पाठक विभाग के लिए इतने जरूरी हैं कि उसके लिए मंत्री तक की कुर्सी कुर्बान की जा सकती है। तो आज हम जानते हैं केके पाठक से जुड़ी ऐसी दिलचस्प बातें जो शायद अपने आज तक नहीं सुनी होगी।

केशव कुमार पाठक…अर्थशास्त्र में स्नातक, अर्थशास्त्र में में एमफिल, यूपीएससी में बजाया डंका

केके पाठक यानी केशव कुमार पाठक। केके पाठक का पूरा नाम केशव कुमार पाठक है। 15 जनवरी 1968 को उत्तर प्रदेश में जन्म लेने वाले केके पाठक 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। शुरुआती पढ़ाई यूपी में हुई। अर्थशास्त्र में स्नातक किया और फिर अर्थशास्त्र से ही एमफिल की डिग्री भी हासिल की। यूपीएससी में भी टॉप 40 रैंक में शामिल होकर केके पाठक ने समाज का नाम रोशन किया।

डीएम के तौर पर पहली पोस्टिंग, गिरिडीह में दिखा खौफ

1990 बैच के आईएएस अधिकारी केके पाठक की पहली पोस्टिंग कटिहार में हुई थी। केके पाठक सबसे पहले तब चर्चा में आए जब वह संयुक्त बिहार में गिरिडीह के एसडीओ थे। इसके बाद वे बेगूसराय, शेखपुरा और बाढ़ में भी एसडीओ के पद पर रहे। केके पाठक जहां भी रहे, पद भले ही जो भी मिला, लेकिन उनकी हनक कभी भी काम नहीं रही। वर्ष 1996 में पहली बार केके पाठक डीएम बने और उन्हें संयुक्त बिहार के ही गिरिडीह जिले की कमान मिली। डीएम बनते ही गिरिडीह में केके पाठक का डंडा ऐसा चला कि हर तरफ उनकी चर्चा होने लगी।

मंत्री चंद्रशेखर को छोड़नी पड़ गई कुर्सी

राबड़ी देवी सीएम, भाई साधु यादव सांसद, गोपालगंज में डीएम केके पाठक ने सांसद को दिखाई हनक

राबड़ी देवी के शासन के दौरान पाठक को लालू यादव के गृह जिले गोपालगंज की जिम्मेदारी मिली। यहां केके पाठक एक बार फिर से सुर्खियों में आ गए। क्योंकि केके पाठक ने इस बार सीधे साधु यादव से टक्कर ली थी। गोपालगंज में एमपीलैड फंड से बने एक अस्पताल का उद्घाटन सफाईकर्मी से करवा दिया। यह फंड गोपालगंज के सांसद और राबड़ी देवी के भाई साधु यादव ने मुहैया कराया था। तब केके पाठक के इस कदम से खूब बवाल मचा था। गोपालगंज में पाठक की हनक और ठसक से आखिरकार मुख्यमंत्री राबड़ी देवी तंग आ गईं और उन्हें वापस सचिवालय बुला लिया गया। हालांकि, इसके बाद भी वे लगातार सुर्खियों में रहते आए हैं।

केके पाठक पर हाईकोर्ट लगा चुका है जुर्माना

वर्ष 2005 में नीतीश कुमार की सरकार बनी तो केके पाठक को बड़ा पद मिला। पाठक को बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (BIADA) का प्रबंध निदेशक बनाया गया। वर्ष 2008 में हाईकोर्ट ने एक आदेश में पाठक पर 5000 का जुर्माना भी लगाया। केके पाठक पाठक बिहार आवास बोर्ड के सीएमडी भी रहे। नीतीश कुमार के करीबी अधिकारी अरुण कुमार के निधन के बाद शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी पाठक को सौंपी गई।

सुशील मोदी ने कहा सनकी तो भेज दिया कानूनी नोटिस

पाठक की हनक से पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व सांसद रघुनाथ झा और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी की भी मुश्किलें बढ़ चुकी हैं। 2015 में सनकी कहने पर पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी को पाठक ने लीगल नोटिस भेजा था। कहा जाता है कि केके पाठक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चहेते अधिकारी में से एक हैं। वर्ष 2010 में पाठक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए। इसके बाद फिर साल 2015 में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने उन्हें वापस बुलाया। 2015 में आबकारी नीति लागू करने में केके पाठक ने बड़ी भूमिका निभाई। 2017-18 में फिर से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए, जहां से 2021 में प्रोमोशन के साथ वापस लौटे। वर्ष 2021 में ही फेम इंडिया मैगजीन ने भारत के 50 असरदार ब्यूरोक्रेट्स की एक सूची प्रकाशित की, जिसमें केके पाठक का भी नाम शामिल था।

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