Shame-Shame : बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के मातहत चलने वाले PMCH में इलाज का इंतजार करती हुई दुष्कर्म पीड़िता बच्ची की मौत हो गई, तब अगले दिन सरकार जागी है। बेड के इंतजार में घंटों इलाज से महरूम हुई बच्ची मरहूम हो गई, तब दिखाने लायक एक्शन शुरू हुआ है।
Bihar News : सरकार ने PMCH के प्रभारी उपाधीक्षक को पद से हटाया, SKMCH की अधीक्षक को निलंबित किया
बिहार सरकार का ही स्वास्थ्य खराब है, यही लगता है। नौ साल की बच्ची से दुष्कर्म होता है। इन दिनों दुष्कर्म की ऐसी वारदातों पर कोई नियंत्रण नहीं कर पा रहे जिलों के पुलिस कप्तान। खैर, वहां तो कुछ होने से रहा। बच्ची के साथ सिर्फ दुष्कर्म नहीं किया था दरिंदे ने, उसके कई अंगों को चीर-फाड़ दिया था। वह मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रही। नहीं संभल सका केस तो राज्य के सबसे बड़े उसी अस्पताल में रेफर कर दी गई, जहां पिछले महीने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक हजार से ज्यादा बेड की सुविधा शुरू कराई थी। पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बच्ची घंटों तड़पती रही, लेकिन उसे बेड नहीं मिला।
इस घटना पर विपक्ष भी देर से जागा। उसके पहले भाजपा के ही दो नेता जागे, लेकिन एक ने दोबारा सोने में भलाई समझी और दूसरे ने गुस्से में पार्टी छोड़ दी। इतना कुछ हो गया और इधर अस्पताल के अमानवीय-लापरवाह रवैये से लड़की की मौत हो गई। मौत के अगले दिन सरकार जागी तो पता है क्या किया!
जिस अस्पताल में बच्ची को घंटों बेड नहीं मिला, उसके प्रभारी उपाधीक्षक को ‘उस पद से हटाने की बड़ी कार्रवाई’ की गई और जिस श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल ने सुविधा नहीं होने के नाम पर उसे रेफर किया था, उसकी अधीक्षक को निलंबित कर दिया। अधीक्षक की एक गलती का निलंबन आदेश में जिक्र नहीं है और वह यह कि उन्होंने अपने पास उस बच्ची के इलाज लायक संसाधन नहीं होने का खुलासा कर दिया था।
Shame-Shame : इलाज लायक संसाधन नहीं होने का खुलासा करने के कारण निलंबन?
Health Department Bihar : शर्मनाक घटना पर हर तरफ केवल राजनीति हुई
उस लड़की ने वक्त दिया, लेकिन समय पर उसे इंसाफ नहीं मिला। दुष्कर्म पीड़िता बच्ची को पहले मुजफ्फरपुर के सरकारी अस्पताल में सही तरीके से इलाज मिला होता, तो भी शायद यह परिस्थिति नहीं आती। फिर कथित तौर पर हाईटेक हुए पीएमसीएच के डॉक्टर रंगदारी और मनमानी की जगह मानवीयता दिखाते तो भी शायद यह परिस्थिति नहीं आती।
वैसे, इस केस में साफ दिख रहा है कि समाधान की जगह इस शर्मनाक घटना पर केवल राजनीति हुई। लड़की मौत से जूझती रही, लेकिन जब बात यह आई कि वह दलित है तो विपक्षी दल जागे। तेजस्वी यादव भी न केवल उसके घर पहुंच गए, बल्कि तमाम नियमों को तोड़ते हुए उसके परिजनों का वीडियो बनाकर शेयर किया। कांग्रेस पार्टी इसके पहले इस लड़की की याद जरूर आई, लेकिन तब तक मामला हाथ से निकल चुका था।
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल जो खुद पेशेवर डॉक्टर परिवार हैं, उन्होंने पीएमसीएच की घटना पर शर्म जताया, लेकिन फिर उस सोशल मीडिया प्रतिक्रिया को भी हटा लिया। कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए प्रवक्ता आसित नाथ तिवारी ने भगवा पार्टी छोड़ दी। मतलब, राजनीति इतनी हो गई। इसके बाद आज सरकार जागी। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने घटना की जांच कराने का एलान किया। अब पीएमसीएच के प्रभारी उपाधीक्षक को पद से हटाने का आदेश आया, जबकि यह कोई पद नहीं बल्कि एक जिम्मेदारी है। इसमें हटाना या नहीं हटाना, कहीं से कोई विषय नहीं है।
जिस अस्पताल का सीएम नीतीश कुमार ने इतने तामझाम से उद्घाटन कर हजार से ज्यादा बेड होने की बात कही, वहां एक अदद बेड नहीं मिलने की एक वजह यह भी थी कि वहां पैरवी करने जाने पर भी डॉक्टर पीट देते हैं। मीडियाकर्मी भी पैरवी से अब बचने लगे हैं। नेता भी। जिस एसकेएमसीएच की अधीक्षक को गलत तरीके से मरीज रेफर करने का दोषी बताया गया, उनका दोष ज्यादा संभवत: यह होगा कि लड़की की मौत के बाद उन्होंने सीधे कह दिया था कि उसे बचाने लायक उपकरण-संसाधन वहां उपलब्ध नहीं थे।