Bihar Land Survey को लेकर बिहार के गांव-गांव में लोग परेशान हैं। सर्वे की अंतिम तारीख तय हो जाने की खबर से बेचैनी बढ़ गई है।
Bihar Land Survey से क्यों बढ़ी है बेचैनी
बिहार में जमीन सर्वे को लेकर गांव-गांव में लोग परेशान हैं। जमीन के कागजात खंगाले जा रहे हैं। इस बीच सर्वे की अंतिम तारीख तय होने की खबर ने लोगों की बेचैनी बढ़ा दी है। गांव के ही कुछ लोग यह अफवाह उड़ा रहे हैं कि कागजात तय सीमा के अंदर जमा नहीं किए तो जमीन हाथ से निकल जाएगी। इस अफवाह के बाद तनाव बढ़ता जा रहा है। राज्य सरकार के पास यह रिपोर्ट पहुंच रही है कि कई गांव में स्थिति तनावपूर्ण है। सरकारी रिकॉर्ड में कागजात मिल नहीं रहे हैं। जबकि आम लोग कागजात की तलाश में दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। लिहाजा सरकार ने डेडलाइन पर अपना स्टैंड साफ कर दिया है।
न कोई अंतिम तारीख है, न होगी : सम्राट चौधरी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने यह साफ कर दिया है कि हर व्यक्ति की संतुष्टि तक सरकार सर्वे जारी रखेगी। जब तक लोग अपने सभी तरह के कागजात उपलब्ध नहीं कराएंगे, सर्वे नहीं रोका जाएगा। इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। जमीन संबंधित कागजातों को सर्वे कार्यालय में जमा करने की कोई अंतिम तारीख तय नहीं की गई है। आगे भी कोई डेडलाइन तय नहीं की जाएगी। सम्राट चौधरी ने कहा है कि सर्वे का उद्देश्य जमीन विवाद को खत्म करना है। इसलिए कोई भी व्यक्ति परेशान ना हो।
सर्वे से BJP व JDU को नुकसान की आशंका, बदला सरकार का स्टैंड
दरअसल, बिहार में जमीन सर्वे की घोषणा के बाद से ही इसको लेकर विवाद बना हुआ है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने बिना किसी तैयारी के सर्वे का ऐलान कर दिया। ना तो अमीन को सही तरीके से ट्रेनिंग दी गई। न ही सर्वे का सही तरीका अपनाया गया है। इस बीच नीतीश सरकार के पास यह रिपोर्ट भी आई है कि सर्वे के कारण लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इसका खामियाजा बीजेपी और जेडीयू को बिहार विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। लिहाजा सरकार का स्टैंड अब सर्वे पर बदलता नजर आ रहा है। उम्मीद इस बात की भी जताई जा रही है कि राज्य सरकार सर्वे को चुनाव तक टाल सकती है।