Bihar News में राज्य की नीतीश कुमार सरकार की ओर से ही बड़ी खबर आयी। नीतीश कैबिनेट की मंगलवार को बैठक हुई तो मिथिलांचल और पिछड़ी जातियों पर सरकार का फोकस साफ-साफ उभर आया। क्या और क्यों किया जा रहा है?
पटना (बिहार)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी महागठबंधन सरकार ने अपना पूरा ध्यान मिथिलांचल और पिछड़ों पर केंद्रित कर दिया है। मंगलवार को नीतीश मंत्रिमंडल की अहम बैठक में 25 एजेंडों को स्वीकृति दी गई, जिनमें से अधिकतर इन्हीं दो पर केंद्रित हैं। आगामी लोकसभा चुनाव में मिथिलांचल को महत्वपूर्ण मानते हुए भाजपा भी यहां फोकस कर रही है और महागठबंधन सरकार ने भी इसी पर पूरा ध्यान लगाया है। कुछ ऐसी ही स्थिति पिछड़ी जातियों को लेकर भी है। दोनों तरफ का ध्यान इनपर है और इसका फायदा इन जातियों को बिहार कैबिनेट से भी मिल गया है।
भीमराव अंबेडकर आवासीय विद्यालय में मिथिलांचल को देखिए
नीतीश मंत्रिमंडल ने पटना, गया और नवादा के सात भीमराव अंबेडकर आवासीय विद्यालय भवनों के निर्माण के लिए राशि की स्वीकृति दी तो सुपौल के छातापुर, समस्तीपुर के विभूतिपुर और दरभंगा के बहादुरपुर को भी दी। इन सभी जगहों पर 720-720 की छात्र क्षमता के डॉ. भीमराव अंबेडकर आवासीय विद्यालय के भवन निर्माण की राशि स्वीकृत की गई है। हर विद्यालय को इस मद से 46.07 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है।
नीतीश कुमार मंत्रिमंडल ने मिथिलांचल के ही सहरसा जिला में नए राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के निर्माण की सैद्धांतिक स्वीकृति भी दे दी है। पिछले दिनों दरभंगा में एम्स की जगह सहरसा में इसे बनाने को लेकर बहुत ज्यादा गतिरोध हो रहा था। माना जा रहा है कि राज्य सरकार के ही कुछ नेता दरभंगा में एम्स के लिए जिद पर अड़े हैं, जबकि केंद्र सरकार दरभंगा और सहरसा, दोनों विकल्पों पर विचार कर रही थी। राज्य सरकार के कहने पर दरभंगा को ही अंतिम तौर पर पक्का किया गया। दोनों ही मिथिलांचल के क्षेत्र हैं। चूंकि एक जगह केंद्र सरकार एम्स देने के लिए तैयार हो गई तो बैलेंस बनाने के लिए राज्य सरकार ने यहां राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल बनाने को लेकर सहमति दे दी।