Bihar News में नीतीश कुमार कैबिनेट के अहम फैसलों को समझने वाले ही समझ सकते हैं। सरकार ने 69692 शिक्षकों के पद स्थायी किए। यह पद संविदा में भी खाली पड़े थे। इसी तरह विकास मित्रों-शिक्षा सेवकों को लॉलीपॉप थमाया गया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल ने मंगलवार को 45 एजेंडों पर मुहर लगाई। सबसे बड़ा फैसला शिक्षकों के 69692 पदों के स्थायीकरण का था, जबकि दूसरा लोकलुभावन फैसला शिक्षा सेवकों और विकास मित्रों के मानदेय को लगभग दोगुना करने वाला था। यह दोनों फैसले व्यापक प्रचार वाले हैं, लेकिन इनसे कई चीजें साफ भी हो गईं।
सरकार ने बताया कि संविदा पर नियुक्ति के लिए सृजित 69692 पद खाली पड़े थे। मतलब, संविदा पर भी शिक्षकों के यह पद खाली पड़े थे। चूंकि राज्य सरकार संविदा शिक्षकों की नियुक्ति खत्म करते समय ही इन पदों को भी शिथिल कर दिया गया था, इसलिए उनकी जगह अब उतनी ही संख्या के स्थायी पदों को कैबिनेट ने मंजूरी दी है। दूसरी तरफ, नीतीश कुमार मंत्रिमंडल ने शिक्षा सेवकों और विकास मित्रों के मानदेय में भारी बढ़ोत्तरी की है। यह बढ़ोत्तरी भारी जरूर है और इससे इन संविदा कर्मियों को राहत भी मिलेगी। लेकिन, इसके साथ ही सरकार ने तय कर दिया है कि शिक्षा सेवकों और विकास मित्रों को शिक्षकों की तरह स्थायी नौकरी नहीं मिलने वाली है। शिक्षकों की संविदा व्यवस्था खत्म करने के बाद ऐसे संविदा कर्मियों की स्थायीकरण की मांग तेज हो रही थी। अब सरकार ने उस मांग को किनारे कर दिया है। सरकार ने एकमुश्त इनका मानदेय बढ़ा भी दिया है और साथ ही यह भी साफ कर दिया है कि हर साल इनके मानदेय में पांच प्रतिशत का इजाफा होता रहेगा।