₹230 से शुरू कर SiS Security को 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर की कंपनी बनाया
1974 के बिहार में चलते हैं। तब भारत का एक रुपया आज के हिसाब से लगभग 60 से 70 रुपए के बराबर होगा, क्योंकि मुद्रास्फीति के कारण रुपए की कीमत काफी कम हो गई है। फिर भी, उस समय के 230 रुपए आज के करीब 16,100 रुपए होंगे। समझना मुश्किल नहीं कि उस समय 230 रुपए या आज 16,100 रुपए लेकर कोई आदमी क्या ही कर सकता है! लेकिन, जब बात 1974 की आ रही और राशि 230 रुपए तो जेहन में बिहार की इस बड़ी शख्सियत का नाम बरबस आ जाता है- आरके सिन्हा। जी हां, वही रवींद्र किशोर सिन्हा, जिन्हें भारत में सत्तासीन दुनिया के सबसे बड़े राजनीति दल- भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में उच्च सदन में सांसद बनाकर भेजा था। इस बिहारी शख्सियत की चर्चा तब पूरी दुनिया में फैल गई थी, जब विश्वप्रसिद्ध फोर्ब्स पत्रिका ने इन्हें दुनिया के अरबपतियों की सूची 2018 में रखा। चर्चा फिर 230 रुपए की लाते हैं, क्योंकि उन्हीं 230 रुपयों ने यहां तक का सफर तय किया था। देश में आज जिस ‘स्टार्टअप’ शब्द की बात गूंज रही है, वह प्रयोग बिहार में 1974 में आरके सिन्हा ने न केवल कर दिखाया, बल्कि उसमें सफलता हासिल कर भी दिखाया। वर्ष 1974 में किराए के एक छोटे से मकान के गैराज से 230 रुपए की पूंजी और दो लोगों को साथ लेकर शुरू किया गया कारोबार आज एशिया प्रशांत क्षेत्र में इतिहास रच रहा है। उन 230 रुपयों से सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस सर्विसेज़ (SiS India) की नींव पड़ी थी। आज इस कुनबे में भारत की कुल 11 कंपनियों और चार अग्रणी संगठनों का मालिकाना हक जुड़ा है और चार विदेशी कंपनियों की साझीदारी है।
पत्रकारिता से शुरुआत, India-Pakistan युद्ध कवरेज से छा गए
रवींद्र किशोर सिन्हा का जन्म 22 सितंबर 1951 को बिहार के बक्सर में हुआ था। रवींद्र किशोर सिन्हा राजनीति विज्ञान और विधि स्नातक हैं। निर्भीक पत्रकारिता से अपने कॅरियर की शुरुआत करने वाले आरके सिन्हा का कॉरपोरेट दिग्गज तक का सफर काफी असाधारण रहा है। 1971 के भारत-पाक युद्ध के कवरेज ने उन्हें एक कुशल युद्ध संवाददाता के रूप में प्रसिद्धि दिलाई। उनकी रिपोर्टिंग की दुनिया भर में प्रशंसा हुई थी। वह एक ईमानदार और निर्भीक पत्रकार रहे और अपने पेशे को पूरे समर्पण के साथ निभाया। एक पत्रकार के तौर पर हमेशा उनके पास हर क्षेत्र की जानकारी रही और भाषा पर पकड़ भी। शायद यह भी एक कारण रहा होगा कि पत्रकारिता में ख्याति अर्जित करने के दरम्यान राजनेताओं और राजनीतिक दलों के साथ उनके संबंध गहरे हुए।
SiS Security : सेवा के लिए उद्यम, फिर उद्यमी बनकर सेवा
आरके सिन्हा पहली पीढ़ी के उद्यमी रहे हैं। वर्ष 1974 में किराए के एक छोटे मकान से सिर्फ दो लोगों के साथ मिलकर प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनी- एसआईएस के रूप में अपना कारोबार शुरू किया था। कंपनी के जरिए आरके सिन्हा का मुख्य उद्देश्य भारत-पाक युद्ध के बाद सेवानिवृत्त हुए सैनिकों की मदद करने का था। मतलब, भूतपूर्व सैनिकों की मदद के लिए इस उद्यम की शुरुआत हुई। आज यह कारोबार इतना बड़ा हो गया है कि देशभर में इसका दबदबा है। बिहार से शुरू होने वाली सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस सर्विसेज लिमिटेड (SiS India) आज देश-विदेश में सिक्योरिटी गार्ड मुहैया कराने वाली एक अग्रणी कंपनी बन गई है। आप देश की ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा में भी एसआईएस के सुरक्षाकर्मियों को देखेंगे और बैंक से लेकर एटीएम तक में। कुल 22 हजार से ज्यादा उपभोक्ता संगठनों के निर्दिष्ट 62 हजार से ज्यादा जगहों पर एसआईएस सेवा दे रहा है। आज की तारीख में इस समूह में 2.85 लाख से अधिक लोगों के पास स्थायी नौकरी है, जो देश के 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 293 शाखा कार्यालयों से नियंत्रित होते हैं। इस कंपनी में आज भी भूतपूर्व सैनिकों को प्राथमिकता मिलती है। वित्तीय वर्ष 2023-2024 में एसआईएस लिमिटेड का सालाना राजस्व 12,261 करोड़ रुपए था। एसआईएस 1.5 बिलियन (डेढ़ अरब) अमेरिकी डॉलर की भारतीय मल्टीनेशनल कंपनी है। यह सिक्योरिटी और फैसिलिटी मैनेजमेंट सॉल्यूशन में भारत की नंबर वन कंपनी है। ऑस्ट्रेलिया के सिक्योरिटी सॉल्यूशन प्रोवाइडर के रूप में भी यह नंबर एक पर है। कैश मैनेजमेंट सॉल्यूशन में यह भारत में दूसरे और सिक्योरिटी सॉल्यूशन प्रोवाइडर के रूप में यह न्यूजीलैंड की तीसरी और सिंगापुर की पांचवीं बड़ी कंपनी है। आरके सिन्हा इस समूह के अध्यक्ष हैं और बेटे ऋतुराज सिन्हा प्रबंध निदेशक की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। कंपनी कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबलिटी के तहत तो देशभर में काम करती ही है, पिता-पुत्र स्वयं भी जन-सेवा के लिए निजी स्तर पर आगे रहते हैं।
RK Sinha : पद आए-गए, राजनीतिक आस्था की जड़ें नहीं हिलीं
अमूमन आमलोगों को ऐसा लगता है कि किसी भी कारोबारी का संबंध महज कारोबार तक ही सीमित रहता है, मगर आरके सिन्हा के मामले में यह बातें सच नहीं हैं। जनसंघ के दिनों से ही आरके सिन्हा भाजपा से जुड़े रहे हैं। समय -समय पर उन्होंने पार्टी संगठन में अनेक जिम्मेवारियों का बखूबी निर्वहन भी किया है। आरके सिन्हा की ईमानदारी और कार्यानुभव के कारण ही उन्हें भारत सरकार ने साल 1999 से 2004 तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) में सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया था। वर्ष 2014 में भाजपा ने उन्हें संसद के उच्च सदन- राज्यसभा के लिए मनोनीत किया। वह कार्यकाल खत्म हुआ, लेकिन राजनीतिक आस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर वह इन दिनों मोटे अनाज को लोकप्रिय बनाने और उसके उत्पादन के कार्य में जुटे नजर आए।
R K Sinha : एक शख्स से अंदर इतनी खूबियां, दुनिया देख-पढ़ चुकी
एक व्यक्ति के अंदर कई तरह की खूबियों के स्वामी हैं आरके सिन्हा। बिहार की मिट्टी से निकले इस सोने की पहचान हर जगह हुई है। राजनीति पर आरके सिन्हा ने दर्जनों किताबें लिखी हैं। उनकी लिखी पुस्तक ‘जन आंदोलन’ को 1970 से 1975 के बीच लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में हुए छात्र आंदोलन पर पहले प्रामाणिक शोध ग्रंथ के रूप में जाना जाता है। अपने गुरु के प्रति आस्था और विश्वास जताते हुए ‘महामानव मृत्युंजय’ और Me and My Guru जैसी किताबें लिखकर आरके सिन्हा ने गुरु-शिष्य परंपरा के नए अध्याय को एक तरह से शुरू किया। वह निजी सुरक्षा कंपनी के केवल स्वामी नहीं हैं, बल्कि सुरक्षाकर्मियों से जुड़े प्रशिक्षण के लिए उनकी जानकारी का लाभ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय तक पाठ्य-पुस्तक के रूप में उठा रहा है। आरके सिन्हा समय का सच, बात बोलेगी हम नहीं, In Era of Modi, By The Way जैसी चर्चित पुस्तकों के भी लेखक रहे हैं। आरके सिन्हा स्वदेश भारत के साथ-साथ संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, मॉरीशस, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, हांगकांग, जापान, चीन, ताइवान, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, श्रीलंका, दुबई, अबू धाबी, बहरीन और ऑस्ट्रेलिया में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों में सुरक्षा विषयों पर 100 से अधिक उच्च पेशेवर शोध प्रस्तुतियां दे चुके हैं।
Ravindra Kishore Sinha : संबंध सर्वोपरि रख दिल का रिश्ता बनाते हैं
आरके सिन्हा से एक बार भी मिल चुके किसी व्यक्ति से पहली प्रतिक्रिया लेंगे तो जवाब मिलेगा- “सभी से बहुत आत्मीय भाव से मिलते हैं। मिलने वाला उनका परिजन हो, दोस्त हो, जान-पहचान वाला हो या अनजान… कोई फर्क नहीं पड़ता।” सभी से सहज आत्मीय भाव से सबसे पहले यही पूछते हैं- सब ठीक बा नू? बाल बच्चा परिवार सब मजे में बाड़न लोग नू? वह किसी के लिए आरके सिन्हा हैं तो किसी के लिए सिर्फ रवींन्द्र बाबू, कोई भइया तो कोई चाचाजी बोलता है। कंपनी में तो हर कोई उन्हें आदर के के साथ ‘साहब’ ही कहता है। पत्रकारिता से जीवन शुरू करने वाले आरके सिन्हा राजनीति, व्यवसाय, ऑर्गेनिक खेती, लेखन, आध्यात्म और सामाजिक सरोकार के साथ लोक जीवन में भी प्रभावी दखल रखते हैं। यही उन्हें ‘आम आदमी का खास’ भी बनाए रखता है। उन्हें जानने वाले हों या कम जाने वाले, किसी भी जरूरतमंद को जब भी मदद की दरकार होती है तो वह बेझिझक उनके दर पर पहुंचता है। और, आरके सिन्हा उसे निराश नहीं लौटने देते।
RK Sinha SiS : दिल मिलाते समय दल नहीं देखना एक अलग खूबी
उनकी एक बड़ी खासियत यह है कि राजनीतिक विचारधारा को उन्होंने कभी संबंधों के बीच नहीं आने दिया। इससे सभी दलों में उनके मित्रों और शुभचिंतकों की एक बड़ी संख्या है। इसी साल जनवरी में आरके सिन्हा ने अपने पैतृक गांव पर चूड़ा-दही का भोज देकर महाजुटान किया तो पटना से भी हर दल के दिग्गज पहुंचे। वह पटना के अन्नपूर्णा भवन में होली पर ऐसा ही महाजुटान करते रहे हैं और उसी बहाने कलाकारों को भी प्रोत्साहित करते रहे हैं। हर तरफ दिल मिलाने की तो उनकी जैसे आदत है। एक ओर जहां अपनी पार्टी भाजपा के दिग्गजों के साथ उनका बेहद आत्मीय रिश्ता है तो दूसरी ओर धुर विरोधी पार्टी राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव के साथ भी मैत्रीपूर्ण संबंध हैं।
Bihar Personality : भाजपा नेता के राजद से संबंध ऐसे! चौंक जाएंगे आप
लालू यादव सिन्हा साहब के लिए भइया हैं तो राबड़ी देवी भौजी। यहां एक प्रसंग की चर्चा जरूरी है। लालू यादव ने एक दिन आरके सिन्हा को अपने आवास से फोन किया और पूछा- कहां बाड़ रविंदर? उन्होंने बताया- गांव आईल बानी। लालू यादव ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया। आरके सिन्हा राजद अध्यक्ष लालू यादव के घर पहुंचे तो लालू जी ने पूछा- अहो रविंदर, किडनी कहां ट्रांसप्लांट करवाले रह? दरअसल, तब लालू यादव के किडनी प्रत्यारोपण की तैयारी हो रही थी। इस बीच वहां मौजूद तेजस्वी यादव ने पिता के इलाज से संबंधित सभी कागजात लाकर आरके सिन्हा को दिया। आरके सिन्हा ने सिंगापुर के डॉक्टर से बातचीत की और फिर ऑपरेशन से संबंधित सारी बातें झटपट तय हो गईं।
RK Sinha Profile : आतिथ्य से अपनापन महसूस कर लौटते हैं मिलने वाले
अपनी धरती, अपनी जमीन, खेत खलिहान से जुड़ाव को हर वक्त शिद्दत से महसूस करने वाले आरके सिन्हा बीच-बीच में अपने गांव बहियारा पहुंच जाते हैं। एक बार वह अपने साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को भी गांव लेकर पहुंच गए। वहीं उन्होंने रात्रि विश्राम भी किया था। वैसे, आतिथ्य सत्कार में उनका पटना आवास- अन्नपूर्णा अपने नाम के अनुरुप है। पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, सर संघ चालक मोहन भागवत, पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत चंद्रशेखर, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित कई वरिष्ठ नेता अन्नपूर्णा भवन का आतिथ्य स्वीकार कर चुके हैं। यहां अतिथियों के लिए अब मिलेट्स के बने लजीज व्यंजन परोसे जाते हैं। वैसे, आरके सिन्हा बड़े चाव से मेहमानों के लिए गोयठे पर लिट्टी की सिंकाई करते-कराते भी दिखते रहे हैं। चोखा, हरे चने की घुघनी, नेनुआ और कद्दू का छौंकुआ सब्जी वह जरूर बनवाते हैं। वह अपने हाथों से मेहमानों को परोस कर खिलाते भी रहे हैं। आरके सिन्हा का व्यक्तित्व और स्वभाव ऐसा है कि जो एक बार उनसे मिल लेता है, वह सदा के लिए उनका हो जाता है। उनसे मिलने वाला हर व्यक्ति उनके लिए ख़ास होता है। यह गुण उन्हें बहुत ख़ास बना देता है।
पद
• क्षेत्रीय उपाध्यक्ष– दक्षिण एशिया, विश्व सुरक्षा संगठन (1989-1991)
• अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा पेशेवर संस्थान (1990-1995)
• एरिया गवर्नर, भारतीय सुरक्षा संगठन संघ (1988- 2001)
• चैप्टर चेयरमैन, एएसआईएस फॉर इंडिया सब कॉन्टिनेंट चैप्टर (1990-2000)
• अध्यक्ष, भारतीय सुरक्षा परिषद
• अध्यक्ष, वात्सल्य ग्राम
• संस्थापक सदस्य, पतंजलि योग पीठ
• अध्यक्ष, अखिल भारतीय कायस्थ महासभा
• कार्यकारी अध्यक्ष, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और सुरक्षा प्रबंधन संस्थान (IISSM)
• संस्थापक अध्यक्ष, सेंट्रल एसोसिएशन फॉर द प्राइवेट सिक्योरिटी इंडस्ट्री ऑफ इंडिया
• संस्थापक अध्यक्ष, सिक्योरिटी स्किल्स काउंसिल ऑफ इंडिया
• संस्थापक अध्यक्ष, इंडियन पब्लिक स्कूल, देहरादून-मसूरी घाटी
• अध्यक्ष, ऋतुराज रिसॉर्ट्स लिमिटेड
• अध्यक्ष, आद्या ऑर्गेनिक्स
• अध्यक्ष, बिहार आर्ट थियेटर
• अध्यक्ष, अवसर ट्रस्ट
• अध्यक्ष, आदि चित्रगुप्त फाइनेंस लिमिटेड (ACFL)
• अध्यक्ष, श्री चित्रगुप्त आदि मंदिर प्रबंधक समिति
सदस्यता
• विश्व सुरक्षा संगठन, यू.एस.ए
• अमेरिकन सोसायटी ऑफ इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी, यूएसए
• वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ डिटेक्टिव्स, यूएसए
• इंडियन मैनेजमेंट एसोसिएशन, नई दिल्ली
• इंस्टीट्यूट ऑफ डायरेक्टर्स, लंदन
• भारतीय सुरक्षा संघ, मुंबई
• भारतीय सुरक्षा संगठनों का संघ, दिल्ली
• बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स, पटना
• रोटरी इंटरनेशनल
• हार्ट फ़ाउंडेशन
• अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद्
• पटना एथलेटिक एसोसिएशन बिहार बॉक्सिंग एसोसिएशन
• बिहार वॉलीबॉल एसोसिएशन
Social Media पर आरके सिन्हा
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(रवींद्र किशोर सिन्हा से बातचीत और उनसे जुड़े प्रामाणिक तथ्यों पर आधारित)
प्रस्तुति : अंजिता सिन्हा