Bihar News : बिना पुलिस वेरिफिकेशन के दिया 7 आर्म्स लाइसेंस, तत्कालीन DM को हाईकोर्ट से झटका, याचिका खारिज

रिपब्लिकन न्यूज़, पटना

by Rishiraj
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Bihar News : आर्म्स लाइसेंस निर्गत करने में पुलिस वेरिफिकेशन को ताक पर रखने वाले तत्कालीन जिलाधिकारी पर कानूनी शिकंजा कस सकता है। पुलिस की चार्जशीट को चुनौती देने वाली याचिका हाईकोर्ट में खारिज हो गई है।

Patna High Court : पुलिस वेरिफिकेशन बगैर आर्म्स लाइसेंस, IAS Officer को नहीं राहत

हथियार का लाइसेंस देना या नहीं देना, डीएम के फैसले पर निर्भर करता है। लेकिन हथियार लाइसेंस के लिए आवेदन देने वाले व्यक्ति का पुलिस वेरीफिकेशन उतना ही जरूरी है। हालांकि तय सीमा के अंदर अगर पुलिस अपनी ओर से वेरीफिकेशन रिपोर्ट नहीं देती है तो जिलाधिकारी विशेष परिस्थितियों में फैसला ले सकते हैं।

आर्म्स लाइसेंस जारी करने के इसी एक तर्क के आधार पर एक-एक कर सात लोगों को बगैर पुलिस वेरिफिकेशन के लाइसेंस जारी कर दिया गया। मामला जब सुर्खियों में आया तो तत्कालीन डीएम के खिलाफ FIR दर्ज की गई। पुलिस ने आरोप पत्र समर्पित किया। लिहाजा तत्कालीन डीएम ने पटना हाईकोर्ट से राहत की गुहार लगाई। अब इस पर फैसला भी आ चुका है।


पटना हाईकोर्ट ने बगैर पुलिस वेरिफिकेशन के शस्त्र लाइसेंस जारी करने के मामले में सहरसा के तत्कालीन डीएम और राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल. चोंग्थू उर्फ आरएल चोंगथु को कोई राहत नहीं दी है। कोर्ट ने उनके द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है।

Saharsa Bihar News : नेताओं और प्रभावशाली व्यक्तियों के दबाव में जारी किया लाइसेंस

यह मामला सहरसा के सदर थाना कांड संख्या 112/2005 से जुड़ा है। पटना उच्च न्यायालय के जस्टिस चंद्र शेखर झा ने मामले पर विस्तृत सुनवाई के बाद अपने 24 पन्ने के आदेश में संज्ञान आदेश को सही करार देते हुए कहा कि संज्ञान आदेश में हस्तक्षेप नही किया जा सकता है। पुलिस ने 31 अगस्त 2020 को इस मामले में तत्कालीन डीएम के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।

कोर्ट ने पाया कि कुछ लोगों ने राजनेताओं और अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों के प्रभाव तथा जाली दस्तावेजों का उपयोग करके बगैर पुलिस वेरिफिकेशन के ही आर्म्स लाइसेंस लिया था। राज्य सरकार के गृह विभाग के पत्र संख्या 11026/76/2004 (शस्त्र) दिनांक 29.10.2014 के आलोक में ASI बालकृष्ण झा ने केस की जांच की। जांच के दौरान पाया गया कि सात आर्म्स लाइसेंस धारकों के पास पुलिस वेरिफिकेशन दस्तावेज नहीं होने के बावजूद लाइसेंस जारी कर दिया गया था।

IAS Robert L. Chongthu : गलत लाभ तथा भ्रष्ट आचरण के लिए लाइसेंस किया जारी

सहायक अवर निरीक्षक बाल कृष्ण झा ने सत्यापन के लिए शस्त्र लाइसेंस धारकों की सूची एकत्र की और सत्यापन के दौरान पाया कि सात शस्त्र लाइसेंस धारक असत्यापित थे। तत्कालीन लाइसेंसिंग प्राधिकारी (डीएम) ने पुलिस सत्यापन के बिना लाइसेंस जारी किया था। हालांकि धारा 13(2) में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि निकटतम पुलिस स्टेशन से सत्यापन रिपोर्ट प्राप्त करने तथा यह सत्यापित करने के पश्चात ही कि आवेदक पिछले तीन वर्षों से फॉर्म में दिए गए पते पर निवास कर रहा है, लाइसेंस प्रदान नहीं किया जा सकता है।

इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि तत्कालीन लाइसेंसिंग प्राधिकारी ने गलत लाभ तथा भ्रष्ट आचरण के लिए कानूनी प्रावधानों का पालन किए बिना लाइसेंस जारी कर दिया। मामले की जांच के बाद पुलिस ने अपना पहला आरोप पत्र संख्या 124/2005 दिनांक 09.07.2005 को धारा 109, 419, 420, 467, 468, 471 पटना उच्च न्यायालय सी.आर.एम.आई.एस.सी. संख्या 62048/2023 दिनांक 09-05-2025 4/24 और आई.पी.सी. की 120-बी के तहत केवल ओम प्रकाश तिवारी नामक व्यक्ति के खिलाफ दाखिल किया। इसके बाद पुलिस ने 13 अप्रैल 2006 को आईपीसी की धारा 109 , 419 , 420 , 467 , 468 , 471 और 120-बी के तहत 14 लोगों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र संख्या 118/2006 पेश किया।

Saharsa Police : पुलिस ने नहीं भेजा वेरिफिकेशन रिपोर्ट

तत्कालीन डीएम रॉबर्ट लालचुंगनुंगाचोंगथु को सहरसा थाना कांड संख्या 112/2005 में नामित अभियुक्त के पक्ष में शस्त्र लाइसेंस जारी करने के संबंध में कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया था। आरोप लगाया गया था कि पुलिस से रिपोर्ट प्राप्त किए बिना ही उक्त लाइसेंस जारी कर दिया गया था।

Patna High Court : तत्कालीन डीएम रॉबर्ट लालचुंगनुंगाचोंगथु की मुसीबत बढ़नी तय

याचिकाकर्ता ने 25.06.2008 को अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया जिसमें कहा गया कि जब वह लाइसेंसिंग प्राधिकारी और जिला मजिस्ट्रेट, सहरसा के रूप में तैनात थे तो निकटतम पुलिस स्टेशन से सत्यापन के लिए कहा गया था, लेकिन पुलिस द्वारा कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई। इसके बाद रिपोर्ट के लिए एक अनुस्मारक भी भेजा गया था, लेकिन पुलिस रिपोर्ट की अनुपस्थिति के कारण याचिकाकर्ता रिपोर्ट की प्रतीक्षा किए बिना ऐसा आदेश देने के अधिकार में था। हालांकि पटना उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत वर्तमान याचिका द्वारा पारित दिनांक 01.06.2022 के संज्ञान आदेश को रद्द करने की अपील को खारिज कर दिया है। ऐसे में तत्कालीन डीएम रॉबर्ट लालचुंगनुंगाचोंगथु की मुसीबत बढ़नी तय है।

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