RJD Party के बाहुबली प्रभुनाथ सिंह को हाईकोर्ट ने कैसे बरी किया था, यह सवाल वहीं रह गया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए राजद के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के लिए सजा मुकर्रर कर दी।
जंगलराज- बिहार में जिस काल को जंगलराज के रूप में कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक ने महसूस किया था, शुक्रवार को उसके एक मजबूत हस्ताक्षर प्रभुनाथ सिंह को देश के सर्वोच्च न्यायालय ने दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। प्रभुनाथ सिंह को यह सजा डबल मर्डर केस में मिली है। वह दोषी पाए गए हैं उन दो लोगों की हत्या के लिए, जिन्होंने उन्हें वोट नहीं दिया। लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD Party) के दबंग नेताओं में एक समय प्रभुनाथ सिंह का नाम सबसे पहले लिया जाता था। प्रभुनाथ सिंह सांसद भी रहे और अब भी राजद के वरिष्ठ नेता के रूप में ही उनकी पहचान है। राजद नेता प्रभुनाथ सिंह को सुप्रीम कोर्ट में जाकर यह सजा मिली, पटना हाईकोर्ट तक को वह दोषी नहीं दिखे थे।
मेरा वचन ही है अनुशासन…ऐसे चलता था सिक्का
एक मूवी का बहुत प्रसिद्ध डायलॉग है- “मेरा वचन ही है अनुशासन।” कुछ इसी तरह का सिक्का चलता प्रभुनाथ सिंह का। बूथ लूट के उस दौर में कई इलाकों में इसकी जरूरत नहीं पड़ती थी। प्रभुनाथ सिंह जैसे दबंग का एक संकेत ही पूरे के पूरे बूथ ही नहीं, पूरे इलाके के लिए काफी होता था। ऐसे में संकेत की जगह आदेश देने के बावजूद अपने बताए प्रत्याशी को वोट नहीं देने पर प्रभुनाथ सिंह ने मौत की सजा मुकर्रर की थी। सारण में मशरख के तत्कालीन विधायक अशोक सिंह की हत्या के केस में सजा काट रहे हैं राजद के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के खिलाफ निचली अदालत में 1995 के डबल मर्डर का यह केस आसानी से निकल गया था। आरोप था कि उन्होंने अपने फरमान के बावजूद वोट नहीं देने पर मशरख निवासी राजेंद्र राय (47) और दारोगा राय (18) की हत्या करवा दी थी। 2008 में सबूतों अभाव में निचली अदालत ने पूर्व सांसद को छोड़ दिया। पटना हाईकोर्ट ने भी चार साल बाद उसी फैसले को सही मान लिया। लेकिन, मृतक के भाई ने न्याय की लड़ाई जारी रखी और अब सुप्रीम कोर्ट से यह फैसला आया।
सुप्रीम कोर्ट को पर्याप्त सजा के लिए सबूत मिले
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस किशन कौल, जस्टिस एएस ओका, जस्टिस विक्रम की बेंच ने दोनों पक्षों की दलील के आधार पर सबूतों का अध्ययन किया और फिर पटना हाईकोर्ट के फैसले को गलत माना। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के खिलाफ डबल मर्डर केस में पर्याप्त सबूत हैं। प्रभुनाथ सिंह को सजा का डर था, इसलिए उन्होंने 1 सितंबर की तारीख पर वर्चुअल हाजिरी की अनुमति मांगी थी। यह अनुमति तो मिल गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाने में राहत नहीं दी। दोनों मृतकों के परिजनों को दस-दस लाख रुपए मुआवजा देने और घायल को पांच लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश भी पूर्व सांसद को मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को भी अपने स्तर से पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए कहा है।