Chhath Puja 2024 : छठ पूजा क्यों मनाया जाता है? छठ कब है? साल में कितनी बार होता है? हर जवाब को समझें

सेंट्रल डेस्क, रिपब्लिकन न्यूज़

by Shishir
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Chhath Puja 2024 : छठ पूजा में छठी मइया की अर्चना और सूर्यदेव की आराधना की जाती है। यह दरअसल लोक आस्था, यानी भावना का पर्व है। यह साल में तीन बार होता है, लेकिन पूरी प्रक्रिया के साथ दो बार। इसमें कार्तिक छठ का सबसे ज्यादा महत्व है, जो अभी होने वाला है।

सूर्य की आराधना में अर्घ्य समर्पण का सबसे ज्यादा महत्व होता है, जो बांस से बने इन सूपों में अर्पित किया जाता है। फोटो- RepublicanNews.in

Chhath Puja : चैती छठ बीत चुका; कार्तिक छठ है यह… सबसे खास

लोक आस्था का महान पर्व छठ (Chhath 2024) आ रहा है। बिहार में रहने वाले लगभग तमाम सनातनी परिवार या तो अपने घर में छठ (Chhath Puja Date) करते हैं या किसी नाते-रिश्तेदार के घर जाकर छठी मइया की अर्चना और सूर्यदेव की आराधना करते हैं। कई मुसलमान परिवार भी छठ की भावना से इस तरह अभिभूत हैं कि वह भी इसे पूरे मन से करते हैं। बिहार से सटे उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों के साथ अब देश के हिंदीभाषी राज्यों के साथ छठ मॉरीशस और लंदन तक में हो रहा है। ऐसे में जो छठ से पूरी तरह परिचित नहीं हैं, वह इंटरनेट पर आज चौंकाते हुए चैती छठ (Chaiti Chhath Puja Date in Bihar) के बारे में जानना चाह रहे हैं।

दरअसल, छठ सालभर में तीन बार होता है। इनमें से चैत्र मास में चैती छठ, वैशाख मास में बैशाखी छठ और कार्तिक मास में डाला छठ। चैती और कार्तिक छठ में पूरी प्रक्रिया होती है, जबकि वैशाख मास के छठ में सिर्फ ऋतुफल से सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है। उसे रवि पर्व कहा जाता है। चैती छठ चैत्र मास में हो चुका है। उसके बाद बैशाखी छठ की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। अब कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को होने वाली सूर्य षष्ठी, यानी डाला छठ, यानी असल छठ पूजा की तैयारी शुरू हो गई है।

Chhath Puja 2024 Date in Bihar : 5 नवंबर से 8 नवंबर तक छठ

यह चार दिवसीय महापर्व नहाय खाय के साथ इस बार 5 नवंबर को शुरू होगा।उसके अगले दिन 6 नवंबर को खरना में छठी मइया की पूजा होगी। व्रती अपने संतान के स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना के साथ छठी मइया की पूजा करेंगे। जिन्हें संतान नहीं, वह छठी मइया से इसके लिए वर मांगेंगे। इसके अगले दिन 7 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और 8 नवंबर को सूर्योदय के समय जल अर्पण के साथ लोक आस्था का महापर्व संपन्न होगा।

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