Bihar News : ED की रेड या नीतीश कुमार सरकार की ताबूत में आखिरी कील? करोड़ों कैश पर भारी तारिणी दास से जुड़ा यह दस्तावेज

जीवन ज्योति, पटना

by Rishiraj
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Bihar News : बिहार में प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी चल रही है। गुरुवार रात तक करोड़ों कैश मिले हैं। लेकिन बवाल कैश से ज्यादा उस दस्तावेज को लेकर होना है, जिसने सरकार की नींद उड़ दी है।

Bihar Political Crisis : यह CBI-ED की रेड नहीं, राजनीतिक संकट

बिहार में कुछ बड़ा होने वाला है। इतना बड़ा, जिसकी भनक तक किसी को नहीं है। अब तक हम और आप यही समझ रहे हैं कि बिहार में सीबीआई से लेकर ED तक की छापेमारी भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही है, लेकिन ब्यूरोक्रेटिक लॉबी में मचे घमासान ने कुछ और ही खबर सामने ला दी है। सीबीआई की रेड में दो दिन पहले ही NHAI के GM को करोड़ों कैश के साथ पकड़ा गया। पॉलिटिकल गलियारों में सवाल उठे की आखिर भाजपा शासित राज्य में CBI की रेड कैसे हुई?

वैसे तो सीबीआई की रेड में उस नेता का नाम आ रहा है जिनकी गुटखा खाने की चर्चा हमेशा होती है। खैर इस कहानी को हम अगले पार्ट में बताएंगे। फिलहाल मुद्दे पर आते हैं। मुद्दा ये कि ED की रेड में करोड़ों रुपए कैश मिले हैं। सुबह शुरू हुई नोटों की गिनती रात करीब 10.30 में खत्म हुई। अब जबकि नोटों की गिनती खत्म हो चुकी है, तब एक दस्तावेज ने करोड़ों कैश बरामदगी की खबर को भी कमजोर कर दिया है। आखिर इस दस्तावेज में ऐसा क्या है?

ED Raids In Bihar : बिहार में करोड़ों कैश बरामद, तारिणी दास के पास किसका पैसा?

भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता तारिणी दास के एक साथ कई ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय की रेड हुई। पटना के फुलवारीशरीफ के पूर्णेन्दु नगर इलाके में स्थित आवास पर भी गुरुवार की सुबह छापेमारी की गयी। सुबह से जारी रेड रात के साढ़े दस बजे तक चली। इस दौरान ईडी की टीम ने करोड़ों कैश बरामद किया है। 7 पेटियों में भरकर कैश को गाड़ी से ले जाया गया है। ऐसे में इतना तो तय हो चुका है कि ED के पास तगड़ा इनपुट मौजूद था। इनफॉर्मर ने ED को सटीक जानकारी दी थी। तभी इतना कैश एक साथ बरामद किया गया है। क्या यह पैसा सिर्फ तारिणी दास का है?

Nitish Kumar : रिटायर्ड अफसरों की चांदी, तारिणी दास उसी लॉबी के हिस्सा हैं

नीतीश सरकार में अफसरशाही के आरोप आम बात हैं। इसके पीछे की वजह यह है कि रिटायर्ड अधिकारी सरकार की गाड़ी हांक रहे हैं। रिटायरमेंट के बाद अफसरों को मलाईदार पद मिलना गंभीर सवाल है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार यह आरोप लगाते आ रहे हैं कि चंद अफसर सरकार चला रहे हैं। भ्रष्ट इंजीनियर तारिणी दास भी उसी लॉबी का हिस्सा हैं, जिन्हें रिटायरमेंट के बाद मलाईदार पद दे दिया गया।

तारिणी दास बिहार भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता हैं। वे 31 अक्टूबर 2024 को रिटायर हो गए थे। लेकिन भवन निर्माण विभाग ने उन्हें फिर से उसी पद पर दो साल के लिए नौकरी पर रख लिया। इतना ही नहीं, उन्हें निगम में मुख्य महाप्रबंधक का अतिरिक्त काम भी दे दिया गया। भवन निर्माण विभाग ने 29 नवंबर को एक अधिसूचना जारी की थी। विभाग का यही नोटिफिकेशन सरकार और साहेब के गले की हड्डी और रस्सी दोनों बन गया है।

Tarini Das : भवन निर्माण विभाग की अधिसूचना में क्या है, जानिए

भवन निर्माण विभाग की इस अधिसूचना में कहा गया है कि तारिणी दास, मुख्य अभियंता 31 अक्टूबर 2024 को सेवा से मुक्त हुए। इसके बाद उन्हें इसी मुख्य अभियंता के पद पर 2 साल के लिए संविदा के आधार पर नियोजित करने का प्रस्ताव मंत्री परिषद की स्वीकृति की प्रत्याशा में मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद अधिसूचना संख्या 8990, दिनांक 9 नवंबर 2024 के तहत नियोजित करने का आदेश निर्गत किया गया।

पत्र के पारा 2 में बताया गया है कि राज्य मंत्री परिषद की बैठक दिनांक 19.11.2024 में प्रस्ताव पर घटनोत्तर स्वीकृति प्रदान की गई है। इस आलोक में विभागीय अधिसूचना संख्या 8990, दिनांक 9.11.24 द्वारा निर्गत आदेश को घटनोत्तर स्वीकृति प्रदान की जाती है। विभागीय अधिसूचना के तहत तारिणी दास को 2 साल के लिए एक्सटेंशन दे दिया गया। अब इसी एक्सटेंशन पर विवाद छिड़ गया है।

Nitish Kumar Cabinet : पहले मुख्यमंत्री का अनुमोदन, फिर घटनोत्तर स्वीकृति… वजह?

विभागीय अधिसूचना को अगर तकनीकी तौर पर देखते हैं तो पत्र के शब्दों में कई रहस्य छिपे हैं। तारिणी दास के ठिकानों पर हुई रेड और करोड़ों कैश पकड़े जाने के बाद इन शब्दों के मायने समझना जरूरी है। अधिसूचना के अनुसार 31 अक्टूबर 2024 को रिटायर्ड हुए तारिणी दास को 2 साल के लिए एक्सटेंशन दिया गया। नियम के अनुसार रिटायर्ड अधिकारी को एक्सटेंशन देने के लिए कैबिनेट की मंजूरी जरूरी है।

इसी तरह तारिणी दास के एक्सटेंशन का प्रस्ताव भी मंत्री परिषद के पास स्वीकृत के लिए भेजा गया था। लेकिन उसे मंजूरी तब नहीं मिली थी। लिहाजा मुख्यमंत्री के अनुमोदन मात्र से अधिसूचना सूचना संख्या 8990 जारी कर दी गई। यह दिनांक 9 नवंबर 2024 को जारी हुआ था। एक्सटेंशन का आदेश इसी के तहत निर्गत किया गया था। आदेश निर्गत होने के बाद आदेश को ठोस बनाने के लिए 19 नवंबर 2024 को कैबिनेट से इस प्रस्ताव पर घटनोत्तर स्वीकृति प्रदान की गई। भवन निर्माण विभाग की इस अधिसूचना में कहा गया है कि तारिणी दास, मुख्य अभियंता 31 अक्टूबर 2024 को सेवा से मुक्त हुए।

इसके बाद उन्हें इसी मुख्य अभियंता के पद पर 2 साल के लिए संविदा के आधार पर नियोजित करने का प्रस्ताव मंत्री परिषद की स्वीकृति की प्रत्याशा में मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद अधिसूचना संख्या 8990, दिनांक 9 नवंबर 2024 के तहत नियोजित करने का आदेश निर्गत किया गया। पत्र के पारा 2 में बताया गया है कि राज्य मंत्री परिषद की बैठक दिनांक 19.11.2024 में प्रस्ताव पर घटनोत्तर स्वीकृति प्रदान की गई है। इस आलोक में विभागीय अधिसूचना संख्या 8990, दिनांक 9.11.24 द्वारा निर्गत आदेश को घटनोत्तर स्वीकृति प्रदान की जाती है घटनोत्तर स्वीकृति का मतलब है किसी घटना के हो जाने के बाद उसे स्वीकृति प्रदान करना।

यानी तारिणी दास को एक्सटेंशन देने का फैसला मुख्यमंत्री के अनुमोदन से 9 नवंबर को ही ले लिया गया था। बाद में कैबिनेट की स्वीकृति मिली। लिहाजा सवाल यह है कि आखिरी तारिणी दास किस खास का दुलारा था जिसे एक्सटेंशन देने के लिए कैबिनेट की बैठक से मंजूरी का इंतजार भी नहीं किया गया? पहले मुख्यमंत्री के अनुमोदन से उसे मलाईदार पद दे दिया गया। बाद में कैबिनेट की स्वीकृति दिलाई गई।

Enforcement Directorate : कैबिनेट की मंजूरी बगैर एक्सटेंशन किसने दिलाया?

प्रवर्तन निदेशालय की छापामारी में करोड़ों कैश बरामद होने के बाद अब ED की नजर उन अफसरों और नेताओं पर भी है जिनके लिए तारिणी दास खास बना था। ED के अधिकारी इस बात से हैरत में हैं कि कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार किए बगैर रिटायर्ड अधिकारी तारिणी दास को एक्सटेंशन कैसे मिल गया। आखिर इतनी भी क्या हड़बड़ी थी कि एक्सटेंशन देने के बाद कैबिनेट की मंजूरी दिलाने की नौबत आई। आखिर वह कौन लोग हैं जिनके लिए तारिणी दास भ्रष्टाचार की नैया का खेवैया बना हुआ था।

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