Bihar News में अभी बात Bihar के आर्थिक सर्वेक्षण की। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट ने सामान्य वर्ग की भूमिहार को सबसे गरीब बताया गया है। जबकि कायस्थ धनी हैं। वहीं राजपूत भूमिहार और ब्राह्मण से ज्यादा अमीर हैं। शिक्षा का स्तर ऐसा है कि महज 7 फीसदी आबादी ही ग्रेजुएट है।
बिहार में बहार है या नहीं है, इसे समझना है तो आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े को अच्छी तरह समझना होगा। विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान आर्थिक सर्वेक्षण का जो रिपोर्ट सामने आया है, उसने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल ये कि जिनकी आबादी कम तो भागीदारी कम की बात कही जा रही थी, उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। ऐसे में अब क्या आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग की जाएगी? सवाल Nitish Kumar की सरकार पर भी उठ रहे हैं कि आखिर क्या वजह है कि तमाम दावों के बावजूद शिक्षा का स्तर इतना निम्न है? आइए समझते हैं आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों में क्या सामने आया है।
सामान्य वर्ग : भूमिहार सबसे गरीब, कायस्थ सबसे धनी
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, बिहार में सामान्य वर्ग में गरीब परिवारों की आंकड़ा 25.09 फीसदी है। सामान्य वर्ग में भूमिहार सबसे अधिक गरीब है। रिपोर्ट के मुताबिक 27.58 फीसदी भूमिहार गरीब हैं। जबकि 25.38 फीसदी ब्राह्मण परिवार गरीब हैं। राजपूत की बात करें तो 24.89 फीसदी राजपूत परिवार गरीब हैं। वहीं, कायस्थ में सिर्फ 13.83 फीसदी परिवार गरीब हैं। बिहार में 25.84 फीसदी शेख परिवार गरीब हैं। पठान की बात करें तो 22.20 फीसदी परिवार गरीब हैं। 17.61 फीसदी सैयर परिवार गरीब हैं। कुल मिलाकर सामान्य वर्ग में 25.9 फीसदी परिवार गरीब हैं।
पिछड़ा वर्ग से कहीं ज्यादा गरीब हैं अनुसूचित जाति के परिवार
पिछड़ा वर्ग की बात करें तो 33.16 फीसदी परिवार गरीब हैं। अत्यंत पिछड़ा वर्ग 33.58 फीसदी परिवार गरीब हैं। अनुसूचित जाति में 42.93 फीसदी गरीब हैं। अनुसूचित जनजाति में 42.70 फीसदी परिवार गरीब हैं।
सिर्फ 7 फीसदी आबादी ग्रेजुएट, 1 से 5 कक्षा तक पढ़ने वालों की संख्या सबसे अधिक
बिहार में शैक्षणिक स्थिति की बात करें तो प्रदेश में 22.67 फीसदी आबादी वर्ग 1 से 5 तक की शिक्षा प्राप्त की हुई है। वर्ग 6 से 8 तक की शिक्षा 14.33 फीसदी लोग प्राप्त किए हैं। वर्ग 9 से 10 तक 14.71 फीसदी आबादी शिक्षित है। वर्ग 11 से 12 तक 9.19 फीसदी आबादी शिक्षित है। ग्रेजुएट की बात करें तो 7 फीसदी आबादी ने स्नातक की पढ़ाई की हुई है।
सामान्य वर्ग की आय : 25 फीसदी की आय सिर्फ 6 हजार, 9 फीसदी ही कमाते हैं 50 हजार से अधिक
सामान्य वर्ग में लगभग 25 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 हजार रुपये तक है तो 23 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 से 10 हजार है। 19 फीसदी आबादी की मासिक आय 10 हजार से 20 हजार के बीच है। 16 फीसदी आबादी की मासिक आय 20 हजार से 50 हजार रुपये के बीच है। वहीं, 9 फीसदी आबादी की मासिक आय 50 हजार से अधिक है।
पिछड़ा वर्ग की आय : 33 फीसदी की आय 6 हजार, 4 फीसदी ही कमाते हैं 50 हजार से ज्यादा
पिछड़ा वर्ग में 33 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 हजार रुपये तक हैं। पिछड़ा वर्ग में 29 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 से 10 हजार रुपये तक है। पिछड़ा वर्ग में 18 फीसदी आबादी की मासिक आय 10 से 20 हजार रुपये तक है। वहीं, 10 फीसदी आबादी की मासिक आय 20 से 50 हजार रुपये है। पिछड़ा वर्ग में 4 फीसदी आबादी की मासिक आय 50 हजार से अधिक है।
अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आय : 33 फीसदी की आय 6 हजार, 2 फीसदी कमा रहे 50 हजार से ज्यादा
अत्यंत पिछड़ा वर्ग की बात करें तो 33 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 हजार रुपये तक है। वहीं, 32 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 से 10 हजार रुपये तक है। अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 18 फीसदी आबादी की मासिक आय 10 से 20 हजार रुपये है। 2 फीसदी आबादी की मासिक आय 50 हजार रुपये से अधिक है।
अनुसूचित जाति वर्ग की आय : 42 फीसदी कमा रहे 6 हजार, 1 फीसदी ही कमा रहे 50 हजार से ज्यादा
अनुसूचित जाति वर्ग की बात करें तो 42 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 हजार रुपये तक है। वहीं, 29 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 से 10 हजार रुपये तक है। वहीं, 15 फीसदी आबादी की मासिक आय 10 से 20 हजार रुपये है। 5 फीसदी आबादी की मासिक आय 20 से 50 हजार रुपये तक है। 1 फीसदी आबादी की मासिक आय 50 हजार रुपये से अधिक है।
अनुसूचित जनजाति वर्ग की आय : 42 फीसदी को मिल रहा 6 हजार, 2.53 फीसदी कमा रहे 50 हजार से अधिक
अनुसूचित जनजाति वर्ग में 42 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 हजार रुपये तक है। अनुसूचित जनजाति वर्ग में 25 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 से 10 हजार रुपये तक है। 16 फीसदी आबादी की मासिक आय 10 से 20 हजार रुपये तक है। 8 फीसदी आबादी की मासिक आय 20 से 50 हजार रुपये तक है। वहीं, 2.53 फीसदी आबादी की मासिक आय 50 हजार से अधिक है।