Bihar News में खबर राज्यसभा चुनाव में बड़े खेल से जुड़ी हुई। बीजेपी अब अपना सातवां प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है। अगर ऐसा हुआ तो आरजेडी को एक बड़ा झटका लगना तय है।
राज्यसभा चुनाव में खेल शुरू हो चुका है। यह खेल बिल्कुल वैसा ही है जैसा फ्लोर टेस्ट के दिन एनडीए ने राजद के साथ किया था। अब तक 6 उम्मीदवार एनडीए की ओर से राज्यसभा चुनाव के अखाड़े में कूद चुके हैं। लेकिन बड़ी खबर यह है कि एनडीए अपना सातवां उम्मीदवार भी राज्यसभा चुनाव में उतारने को तैयार है। अगर नामांकन के आखिरी दिन यानी आज सातवें उम्मीदवार ने अपना नामांकन पर्चा भर दिया तो राजद के लिए अपने कुनबे को बचाना बेहद मुश्किल साबित होगा।
राकेश तिवारी हैं 7वें उम्मीदवार, जमा कर चुके हैं सिक्योरिटी डिपॉजिट
एनडीए से राज्यसभा के लिए जिस सातवें उम्मीदवार के नाम की चर्चा है वह हैं भाजपा के कोषाध्यक्ष राकेश तिवारी। राकेश तिवारी का दूसरा परिचय यह भी है कि वह बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। राकेश तिवारी का नाम चर्चा में इसलिए है क्योंकि नामांकन के लिए सिक्योरिटी डिपॉजिट के तौर पर उन्होंने दस हजार रुपए जमा कर दिया है। बिहार में राज्यसभा की 6 सीटें ही खाली हुई हैं। ऐसे में एनडीए अगर सातवां उम्मीदवार अखाड़े में उतारती है तो राजद का टूटना तय माना जाएगा।
डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह का फंसना तय, आरजेडी होगी मजबूर
सातवें उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए वोटिंग तय मानी जा रही है। ऐसे में वोट के जुगाड़ का खेल भी होगा। आशंका इस बात की भी है कि अगर एनडीए ने सातवां उम्मीदवार उतार दिया तो महागठबंधन के किसी एक उम्मीदवार का मामला फंस सकता है। फंसने वाले में सबसे ऊपर नाम डॉक्टर अखिलेश प्रसाद सिंह का है। क्योंकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 19 विधायक हैं। ऐसे में अगर महागठबंधन के अन्य विधायकों ने उनका साथ नहीं दिया तो अखिलेश प्रसाद सिंह का राज्यसभा पहुंचना मुश्किल हो सकता है। क्योंकि ऐसी स्थिति में आरजेडी पहले मनोज झा और संजय यादव को जीत दिलाने की कोशिश करेगी।
राकेश तिवारी ऐसे पहुंचेंगे राज्यसभा, पूरा गणित समझ लीजिए
भाजपा ने राकेश तिवारी को मैदान में उतारने से पहले राजनीतिक गणित को भांप लिया है। भाजपा को यह मालूम है कि राजद नेता तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव की उम्मीदवारी से राजद के ही विधायक खफा हैं। ऐसे में और असंतुष्ट विधायकों को अगर राकेश तिवारी की ओर मोड़ दिया जाए तो भाजपा के खाते में राज्यसभा की एक और सीट आ सकती है। राकेश तिवारी की जीत के गणित को समझने के लिए यह समझना होगा कि आखिर राज्यसभा के उम्मीदवारों को कितने वोटो की जरूरत है।
बिहार में 6 सीटों पर चुनाव होना है। एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 35 विधायकों के वोट की जरूरत है। एनडीए से संजय झा, डॉक्टर भीम सिंह और डॉक्टर धर्मशिला गुप्ता को जीतने के लिए 105 वोटो की जरूरत है। एनडीए के 130 विधायक हैं। यानी तीन उम्मीदवारों को वोट देने के बाद एनडीए के पास 25 विधायकों का वोट बच जाएगा। ऐसे में राकेश तिवारी के पास एनडीए का 25 वोट तो निश्चित है। अब उन्हें 10 विधायकों का जुगाड़ करना है। महागठबंधन की ओर से भी तीन उम्मीदवार हैं। उनके लिए भी 105 विधायकों की जरूरत है। अभी महागठबंधन के विधायकों की संख्या 112 है। यानी तीनों उम्मीदवारों को राज्यसभा भेजने के बाद महागठबंधन के पास 7 विधायक बच जाएंगे। एनडीए की रणनीति यह है कि इन सात विधायकों के साथ ही जदयू के दिलीप राय को भी साथ ले लिया जाए। दिलीप राय जदयू के वही विधायक है जो विधानसभा अध्यक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के समय सदन से गायब थे। महागठबंधन के 7 और दिलीप राय के एक वोट की जुगाड़ से यह आंकड़ा आठ हो जाता है। मतलब अब राकेश तिवारी को राज्यसभा भेजने के लिए सिर्फ दो वोटों की जरूरत होगी। ऐसे में जबकि राजद ने राज्यसभा सांसद अशफाक अहमद करीम को बेटिकट कर दिया है तो अल्पसंख्यक नेता आरजेडी से नाराज हैं। अगर एनडीए ने ऐसे दो नेताओं यानी विधायकों को भी अपनी ओर खींच लिया तो राकेश तिवारी का राज्यसभा पहुंचना तय हो जाएगा। वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन को इन दो वोटो के कारण एक सीट गंवानी पड़ सकती है। अब देखना यह है कि राकेश तिवारी नामांकन करते हैं या नहीं।