Bihar News : खातून की किस्मत! 15वां बच्चा 500 ग्राम का हुआ, मगर जिंदा बचा; पहले हुए 14 बच्चों की कैसे होती रही मौत

रिपब्लिकन न्यूज़, बक्सर

by Rishiraj
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Bihar News : 14 बच्चों तक उसकी बदकिस्मती का दौर चला। बच्चा जन्म लेता और फिर मर जाता। जब 15वां बच्चा धरती पर आया तो महज 500 ग्राम का था। निजी अस्पताल उसे बचाने की हिम्मत नहीं दिखा सके, लेकिन किस्मत इस बार खातून के साथ थी।

The Child : 14 बच्चों की मौत के बाद 15वें के आने से घर में आई खुशियां

इस घर में किसी बच्चे का जन्म दिन (Date of Birth) कोई याद नहीं रख रहा था। एक नहीं, 14 बच्चे हुए थे। किसी का भी अलग नाम (Unique Name) सोचें, इससे पहले ही उसकी मौत (Birth Death) हो जा रही थी। अब, यह 15वां बच्चा इनकी किस्मत में नसीब हुआ। सचमुच इनकी जिंदगी के लिए यह बच्चा (The Child) नायाब तोहफा है। महज 500 ग्राम के बच्चे का जन्म हुआ और उसके बचने की उम्मीद नहीं देख प्राइवेट अस्पताल ने सदर अस्पताल रेफर कर दिया। लेकिन, इसे जिंदगी यहीं मिलनी थी। यह खबर बिहार (Bihar News) के बक्सर जिले से है और बेहद चौंकाने वाली।

Birth Death : पांच-छह महीने गर्भ में रहने के बाद हो रहा था जन्म, इसी कारण मौत

कहा जाता है कि सात मासु, यानी गर्भ में सात महीने रहने वाला बच्चा भी कमजोर होता है। कोई शरीर से तो कोई दिमाग से तो कोई आंख वगैरह से। लेकिन, बक्सर के गोपालपुर की रहने वाली सैफुल खातून को निकाह के बाद जब भी गर्भ ठहरता, पांचवें से छठे महीने में बच्चे का जन्म हो जाता। यह बच्चे हर बार इतने कमजोर हो रहे थे कि उन्हें बचाया नहीं जा पा रहा था। कुपोषित होने के कारण वह धरती पर आने के बाद ही कुछ समय में कोई सुधार नहीं होने के कारण दुनिया से रुखसत हो जा रहे थे।

Buxar Bihar News : निजी अस्पताल में जन्म, सरकारी अस्पताल में जीवन मिला

सैफुल खातून ने सासाराम के एक निजी अस्पताल में अपने 15वें बच्चे का जन्म दिया। यह भी उसी तरह। जन्म के समय वजन महज 500 ग्राम था। कई दिनों तक उसी अस्पताल में रही, लेकिन न तो मां और उस अस्पताल को बच्चे के लिए उम्मीद नजर आई। बच्चे को लेकर परिवार वाले अंतिम बेआस होकर ही सदर अस्पताल पहुंचे थे।

यहां नियोनेटल आईसीयू में बच्चे की देखरेख की गई और जीवन चल निकला तो एक सप्ताह में ही उसका वजन लगभग 700 ग्राम हो गया। अब जुमे के दिन सैफुल खातून के परिवार को बच्चा घर ले जाने के लिए मिल गया। सिविल सर्जन डॉ. मणिराज रंजन ने खुद बच्चे की सारी रिपोर्ट और फिजिकल फिटनेस देखी। इसके बाद बच्चे को डिस्चार्ज किया गया।

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1 comment

Rajendra Narayan Singh May 9, 2025 - 8:13 pm

सचमुच! यह तो ऑपरेशन सिंदूर के बाद करिश्मा ही है। बच्चे का नाम देश से जोड़ेगा यह परिवार?

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