Bihar News : राहुल गांधी इस बार बिहार विधानसभा चुनाव के पहले लंबी तैयारी दिखा रहे हैं। उन्होंने पहले बिहार प्रदेश प्रभारी एक दक्षिण भारतीय को बनाकर भेजा। फिर भूमिहार प्रदेश अध्यक्ष को हटाकर दलित को कमान सौंपी। साथ-साथ भरपाई के लिए भूमिहार कन्हैया कुमार को लाए हैं। कन्हैया को इस बार तेजस्वी यादव स्वीकार करेंगे? जानिए हर आशंका-संभावना।
Rahul Gandhi : तेजस्वी यादव के सामने चुनौती तो नहीं कन्हैया कुमार, क्या है योजना?
टुकड़े-टुकड़े की भावना को समझते हुए 2019 में तेजस्वी यादव ने कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) से दूरी बनाए रखी थी। इस बार राष्ट्रीय जनता दल जहां तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को मुख्यमंत्री का निर्विवाद चेहरा बता रहा, वहीं कन्हैया कुमार को मैदान में उतारने के लिए खुद कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और इस समय लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) आए हैं। इसका मतलब क्या है?
कांग्रेस अगर कन्हैया कुमार में संभावना देख रही है तो क्या तेजस्वी यादव उन्हें स्वीकार करेंगे? ऐसे कई सवाल बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Election 2025) के पहले अचानक इसलिए उभरे हैं, क्योंकि राहुल गांधी खुद सड़क पर उतरने वाले हैं कन्हैया कुमार के साथ। और, अगर कन्हैया को लेकर कांग्रेस के अंदर ऐसी तैयारी है तो प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम तेजस्वी यादव को ही मुख्यमंत्री का चेहरा कैसे बता रहे हैं?
Kanhaiya Kumar : बिहार के भूमिहार कन्हैया कुमार को मान सकेंगे अपना नेता?
बिहार में कांग्रेस अगर कन्हैया कुमार का प्रयोग कर रही है तो उसके पीछे बड़ा कारण उनकी जाति है। दरअसल, कांग्रेस ने बिहार में दलित कार्ड खेलने के लिए राजेश राम को बिहार प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया तो अगड़ी जाति के प्रतिनिधि और भूमिहार नेता अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाकर। ऐसे में अखिलेश को हटाए जाने के कारण जो अंदरखाने मुसीबत होगी, उसे टालने के लिए भी कन्हैया कुमार को कांग्रेस बिहार की राजनीति में लेकर आई है। इसलिए, अब यह भी एक सवाल है कि क्या भूमिहार समाज राष्ट्रवाद-जेएनयू या अखिलेश सिंह को भूलकर कन्हैया को स्वीकार करेंगा?
Tejashwi Yadav : राजद के युवराज के कारण कन्हैया की वापसी भी संभव है?
आज यह लिखे जाते समय संभव है कि कांग्रेसी इस बात का विरोध करेंगे, लेकिन यह हकीकत कुछ ही दिनों में सामने आ जाएगी। कांग्रेस बिहार में राजद की सहयोगी है और यहां महागठबंधन के एक बड़े दल की ही उसकी छवि रहेगी- यह तय है। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ चाहे कन्हैया कुमार जितना भी बोल लें, लेकिन महागठबंधन में बड़े भाई राष्ट्रीय जनता दल तेजस्वी यादव को लेकर किसी भी तरह का समझौत करने के मूड में नहीं है। कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लड़ाई में यहां तेजस्वी यादव को ही आगे करना ही होगा।
कन्हैया कुमार अगर ज्यादा उभरने की कोशिश करेंगे तो तेजस्वी यादव को परेशानी होगी और असर विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। बताया जा रहा है कि कन्हैया ने नौकरी-पलायन का मुद्दा तेजस्वी यादव से छीनने की कोशिश की है, जिससे वह नाराज हैं और इसी को देखते हुए एक तरह से राहुल गांधी ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ पदयात्रा का एक तरह से समापन कराने के लिए ही बिहार आए हैं। चुनाव के आसपास तक यह यात्रा चलती तो माहौल बनता, लेकिन इसे समेटने की तैयारी के पीछे तेजस्वी की नाराजगी को ही वजह माना जा रहा है।
Bihar News : राहुल गांधी बेगूसराय के बाद पटना में भले आएंगे, तेजस्वी को नहीं नकारेंगे
राहुल गांधी बेगूसराय में कन्हैया कुमार के साथ पदयात्रा करने जा रहे और फिर पटना में भी उनका कार्यक्रम है, लेकिन यह बात अब पूरी तरह तय हो गई है कि महागठबंधन से सीएम का चेहरा बिहार में तेजस्वी यादव को ही बनाया जाएगा। कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को उतार तो दिया है, लेकिन राहुल गांधी के पास यह फीडबैक पहुंच चुका है कि तेजस्वी यादव इससे नाराज हैं। बिहार प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरु का दिल्ली एम्स जाकर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से मिलना और अब दिल्ली से लौटने के बाद बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम का तेजस्वी को चेहरा बताना भी यह साफ करता है।