Makar Sankranti 2025 : इस सदी के पहले यह सवाल नहीं था कि मकर संक्रांति किस तारीख को है। लेकिन, अब है। तारीख की जानकारी के साथ समझें कि ‘जिसका उदय, उसका अस्त’ फॉर्मूला क्या कहता है?
Makar Sankranti : 14 जनवरी को मकर राशि में सूर्य, समय क्या है?
दिसंबर में खरमास आया और मांगलिक कार्य रोके गए, तभी से लोग यह जानना चाह रहे कि अच्छे दिन की शुरुआत कब होगी? मतलब, खरमास खत्म कब होगा कि शुभ कार्य किए जा सकें। खरमास खत्म होता है मकर संक्रांति (Makar Sankranti) आने के बाद। मकर संक्रांति को कहीं खिचड़ी (Khichdi 2025) तो कहीं पोंगल (Pongal) तो कहीं लोहड़ी (Lohri 2025) के नाम से मनाते हैं। यह प्रकृति से जुड़ा त्योहार है, जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश पर मनाया जाता है। यह फसल कटने की खुशी में किसानों से गहरा जुड़ा त्योहार है। पिछली सदी तक इसकी तारीख पर सवाल नहीं होता था। निर्विवाद रूप से यह 14 जनवरी को होता था। लेकिन, अब कई बार यह 15 जनवरी को हुआ है। तो, इस बार (Makar Sankranti 2025) मकर संक्रांति कब है?
2025 Sankranti : मकर संक्रांति कब है, क्या बताया प्रख्यात ज्योतिषविद् ने
प्रख्यात ज्योतिषविद् डॉ. श्रीपति त्रिपाठी कहते हैं कि “मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। भगवान भास्कर इस दिन दोपहर बाद 2:58 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसी के साथ खरमास समाप्त हो जाएगा। यही संक्रांति है। इसका पूर्ण काल 14 जनवरी को दिनभर रहेगा। यह पर्व हर साल सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के समय के हिसाब से मनाया जाता है। मतलब, पुत्र के घर पिता आते हैं। मकर संक्रांति को भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। यह सूर्य देव की उपासना का पर्व है। शास्त्रों के अनुसार इसी समय से सूर्य उत्तरायण होते हैं और शुभ समय शुरू होता है।”
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मकर संक्रांति पर स्नान का विशेष महत्व है। इस बार तो प्रयागराज में महाकुंभ भी लग रहा है, जो 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा। इसमें शाही स्नान भी होंगे। अगर आप प्रयाग में हैं या जा रहे हैं, तब तो सोने पर सुहागा; नहीं जा रहे हैं तो दिन की शुरुआत पतित-पावन गंगा या पवित्र नदी में स्नान से करें तो सर्वोत्तम रहेगा। नदी, पोखर के शुद्ध जल में स्नान संभव नहीं है तो घर में ही साफ बरतन में पानी भरकर उसमें गंगाजल डालकर स्नान करें। इस दिन स्नान का बहुत महत्व है। जहां लोग पोंगल, लोहड़ी या खिचड़ी भी मनाते हैं, वहां भी इस दिन ऐसे स्नान का विशेष महत्व है, क्योंकि इसके बाद सूर्य को जल अर्पण किया जाता है। शुद्ध जल में बिना टूटा हुआ चावल, रोली और लाल फूल डालकर सूर्य को जल अर्पण करें। इस समय ‘ऊं घृण सूर्याय नम:’ का 108, 11 बार या कम-से-कम पांच बार जाप करना शुभ माना जाता है।
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Makar Sankranti 2025 : उदय तिथि से चलते हैं तो अगले दिन मनाएं, मगर…
पंडित शशिकांत मिश्र कहते हैं- “सूर्य मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी को दोपहर बाद 2:58 पर करेंगे, इसलिए अगले दिन सुबह 10 बजे तक का समय मकर संक्रांति वाला ही रहेगा। अगर आप पारंपरिक रूप से उदय तिथि के हिसाब से चलते हैं तो 15 जनवरी को सूर्योदय का समय स्नान कर सूर्योपासना का यह त्योहार मना सकते हैं। यह ध्यान रखें कि इस दिन अगर मकर संक्रांति मना रहे हैं तो सुबह 10 बजे के पहले सबकुछ कर लें। वैसे ज्यादातर जगहों पर 14 जनवरी को मनाया जा रहा है। इस दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के बाद ही स्नान-दान आदि करना शास्त्रोचित होगा। मिथिला पंचाग के अनुसार 14 जनवरी को 12 बजे के बाद ही मकर राशि में सूर्य का प्रवेश होगा, इसलिए भी ज्यादातर जगह 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाना उचित होगा। “
Makar Sankranti Rituals : तिल-गुड़ जरूर चढ़ाएं, जल अर्पण
ज्योतिषविद् डॉ. श्रीपति त्रिपाठी कहते हैं कि “मकर संक्रांति स्नान के साथ दान के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। खिचड़ी और मौसमी व्यंजन भी भगवान को अर्पित कर सकते हैं। इस दिन भगवान भास्कर को तिल-गुड़-चावल तो चढ़ाकर ही खुद भोजन करना चाहिए। इससे पहले यथांसभव ऊनी वस्त्र, दुशाला, कंबल, जूता, धार्मिक पुस्तकों के अलावा पंचांग का दान शुभ फलदायक होता है।”