Happy Holi लिखकर भेजिए… क्योंकि होली है। होली कब है? इस सवाल का जवाब तो पक्का-पक्का यहां मिलेगा ही। यह खबर सावधान करने वाली भी है।
जब काशी में होली है 25 को, तो फिर सर्वत्र क्यों नहीं; जवाब भी जान लें
हमेशा तो यही होता है, आज रात होलिका दहन और फिर अगली सुबह होली। लेकिन, इस बार अभी तक सोशल मीडिया पर लोग सवाल पूछ रहे हैं- होली कब मनाया जाए, अपना विचार दिया जाए? लोग सनातन हिंदू धर्म के जानकार पंडितों-ज्योतिष विशेषज्ञों से जानना चाह रहे हैं कि जब काशी में होली 25 मार्च को है तो सर्वत्र क्यों नहीं? रिपब्लिन न्यूज़ ने विशेषज्ञों से इन सवालों का जवाब लेना शुरू किया तो ऐसे जानकारों ने होली को लेकर कई तरह की होशियारी बरतने की बात कही। सावधानी के लिए चेताया भी। पूरी बात अलग-अलग आगे पढ़ें।
Happy Holi कल भी कह सकते हैं, लेकिन होली तो…
बिहार के भागलपुर में बाबा वृद्धेश्वरनाथ (बूढ़ानाथ) मंदिर है। यहां महादेव की पूजा-अर्चना करने वाले पंडित पंकज कुमार झा कहते हैं- “हैप्पी होली चाहें तो आप कल भी कह सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि सोमवार को सुबह पूर्णिमा ही रहेगा। हाेली चैत्र का पर्व है। चैत्र का प्रवेश उदयतिथि में मंगलवार को है। यह तो है इस सवाल का जवाब कि होली का असल दिन कौन-सा है। अब एक और बात में रखें कि कल, यानी सोमवार की शाम चंद्रग्रहण भी लगेगा। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, लेकिन ग्रहण को मानने वाले इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने का उपाय भी करेंगे। जो लोग होली को खाने-पीने का पर्व मानते हैं, वह मंगलवार की जगह सोमवार को मनाना चाहेंगे। इसलिए, मेरा कहना है कि अगर आपके अपने कुल में उदय तिथि की परंपरा है तो मंगलवार को होली मनाएं। अगर नहीं, तो मजी है आपकी।”
होलिका दहन आज रात में, जानिए अगजा में क्या करें, होली में क्या करेंगे
सनातन धर्म के विशेषज्ञ बताते हैं कि रविवार को रात बिहार की भाषा अगजा है। मतलब, होलिका दहन आज रात है। रात 10:38 के पहले होलिका दहन की जगह पर सुबह से शाम तक पूजा की गई। यह पूजा वस्तुत: सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु और उनके नरसिंह अवतार की होती है। नरसिंह अवतार में भगवान ने भक्त प्रह्लाद की रक्षा उसकी फूआ होलिका से की थी। वह उसे जलाने के लिए अग्नि में बैठी, लेकिन खुद आग से बचने की कला जानने के बावजूद जल गई। प्रह्लाद का कुछ नहीं बिगड़ा। इसके बाद नरसिंह भगवान ने हिरण्यकश्यप का सीना फाड़कर मार डाला था। तो, उसी के प्रतीक के होलिका को जलाने से पहले लोग भगवान विष्णु की आराधना करते हैं। रविवार रात 11 बजे के करीब जब पूर्णिमा का प्रवेश होगा, तब होलिका जलाई जाएगी।
होली है, लेकिन होशियार रहें कल और परसों
उदय तिथि के हिसाब से चैत्र मास, यानी चैत माह के त्योहार होली तो लोग मंगलवार को मनाएंगे। सोमवार को सुबह 11 बजे तक पूर्णिमा का प्रभाव रहेगा और चूंकि उदय के समय पूर्णिमा तिथि थी तो अगले दिन चैत्र प्रतिपदा, यानी चैत शुरू होने पर होली होगी। सोमवार शाम चंद्रग्रहण भी है। पंडितों का कहना है कि होली दुनिया के लिए सिर्फ रंगों का त्योहार है, लेकिन इस त्योहार को समझने वाले इस दिन कुलदेवता की जगह को धोते-लीपते हैं। पिंडी पर पूजा करते हैं। वहां पुआ चढ़ाते हैं। मिथिला समेत बिहार के कई हिस्सों में महिलाएं सप्ता-डोरा पूजा करती हैं। फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात से तैयारी होती है और चैत्र मास की सुबह, यानी होली के दिन पूजा होती है। इस दौरान महिलाएं सप्ता की कथा सुनती हैं और विशेष तरह का डोरा (धागा) बांधती हैं। ऐसे में ध्यान रखना चाहिए कि होली में आपके परिवार-वंश की परंपरा क्या है, उसी हिसाब से त्योहार को मनाना चाहिए।
तीन दर्जन मौतों को नहीं भूलें, सावधानी रखें
होली पर यह बात नहीं की जानी चाहिए, लेकिन यह होशियार करने वाला वाकया है। हर साल ऐसी घटनाएं हो रही हैं। शराबबंदी वाले बिहार समेत कई राज्यों में होली के दिन शराब की खपत अचानक बढ़ जाती है। जहां शराबबंदी है, वहां भी यह मिलती है। 2022 में बिहार में करीब तीन दर्जन लोगों की मौत होली के दिन जहरीली शराब के कारण हुई थी। इतनी मौतों से कितने घर तबाह हुए होंगे, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं।
रंगों से आंखों को बचाएं, सबसे नाजुक अंग है- डॉ. रंजना
पटना की प्रख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. रंजना कुमार कहती हैं कि होली खेलते समय अपने शरीर के सबसे नाजुक अंग की रक्षा करना बेहद जरूरी है। किसी की आंखों में रंग लगाने या फेंकने का प्रयास नहीं करें। खुद की आंखों को भी बचाएं। आंखों में रंग चला जाए तो तत्काल साफ पानी से धोएं। खुजली ज्यादा देर रहे तो नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें, अपनी डॉक्टरी नहीं करें। होली खेलने के दौरान आंखों को चोट से भी बचाएं।