Election 2024 में आज चर्चा उस वाराणसी सीट की जहां पूरे देश की नजर है। क्योंकि इस सीट से चुनाव लड़ते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। आज जानते हैं वाराणसी लोकसभा में पीएम Narendra Modi से लड़ने वाले Congress उम्मीदवार Ajay Rai की जिंदगी से जुड़े अहम किस्से।
उत्तर प्रदेश का वाराणसी लोकसभा क्षेत्र। ऐसा लोकसभा क्षेत्र जहां चुनाव के दौरान देशभर की निगाहें टिकी रहती है। वजह हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। वाराणसी सीट से चुनाव लड़कर जीतने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सुर्खियों में रहना तो लाजमी है। लेकिन इस सीट से नरेंद्र मोदी को सीधी चुनौती देने वाले कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय की कहानी अगर आप नहीं जानते हैं तो आज हम आपको अजय राय से जुड़े ऐसे- ऐसे किस्से बताएंगे जिसे सुनकर आप हैरत में पड़ जाएंगे। कभी एबीवीपी के सहारे राजनीति में कदम रखने वाले अजय राय ने कैसे अपने भाई के हत्यारे मुख्तार अंसारी से हाथ मिलाया और फिर कैसे उन्हें नरेंद्र मोदी से लड़ने के लिए खड़ा किया गया, यह पूरी कहानी बेहद दिलचस्प है।
2009 से वाराणसी सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं अजय राय
कांग्रेस ने देश की सबसे वीआईपी सीट वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने उत्तर प्रद्रेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय को चुनावी मैदान में उतारा है। अजय राय साल 2014 और 2019 में भी वाराणसी सीट से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि दोनों ही चुनाव में अजय राय को हार का समना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव 2019 में पीएम मोदी ने समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव को 4.80 लाख वोटों से हराया था। शालिनी यादव अब बीजेपी में शामिल हो चुकी हैं। उस चुनाव में अजय राय को 1 लाख 52 हजार 548 वोट मिले थे और वो तीसरे स्थान पर थे। पिछले लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट से प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी को 63.62 फीसदी वोट मिले थे तो वहीं अजय राय को 14.38 फीसदी वोट मिले थे। लोकसभा चुनाव 2014 में अजय राय पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े थे और दूसरे स्थान पर आए थे।
ABVP से राजनीति की शुरुआत, भाजपा का झंडा लेकर सीपीआई के गढ़ को किया ध्वस्त
कांग्रेस नेता अजय राय का जन्म 7 अक्टूबर 1969 को वाराणसी में हुआ था। अजय राय ने अपने करियर की शुरुआत बीजेपी की छात्र शाखा ABVP से की थी। 1996 में पहली बार बीजेपी के टिकट पर कोलासला सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्होंने 9 बार के CPI विधायक उदल को 484 वोटों के मामूली अंतर से हराया था। इसके बाद 2002 और 2007 के चुनावों में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के अवधेश सिंह को बड़े अंतर से हराकर यह सीट बरकरार रखी।
2009 : बीजेपी छोड़ सपा में गए, मुरली मनोहर जोशी से मिली शिकस्त
2009 में उन्होंने बीजेपी छोड़ी दी। इसके पीछे की वजह ये थी कि पार्टी ने उन्हें वाराणसी से लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया था। इसके बाद वह सपा में शामिल हो गए। सपा ने उन्हें वाराणसी से मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ मैदान में उतारा, लेकिन अजय राय को इस चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा।
भूमिहार ब्राह्मण परिवार के अजय राय हैं हिस्ट्रीशीटर
अजय राय का जन्म वाराणसी में पार्वती देवी राय और सुरेंद्र राय के घर एक भूमिहार ब्राह्मण परिवार में हुआ था, जो गाज़ीपुर जिले के मूल निवासी थे। अजय राय की पहचान बाहुबली और हिस्ट्रीशीटर के रूप में है। वर्ष 1994 में मुख्तार अंसारी और उनके लोगों द्वारा लहुराबीर इलाके में उनके बड़े भाई अवधेश राय की गोली मारकर हत्या करने के बाद वह ब्रिजेश सिंह के सहयोगी बन गए। इससे पहले, वह 1989 से कई आपराधिक मामलों में ब्रिजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह के साथ जुड़े हुए थे। 1991 में वाराणसी के डिप्टी मेयर अनिल सिंह पर हुए हमले में उनका नाम आया था। अजय राय ने अपने चुनावी हलफनामे में खुलासा किया था कि विभिन्न अदालतों में उनके खिलाफ नौ लंबित आपराधिक मामले हैं। इनमें दो गैंगस्टर अधिनियम के तहत शामिल हैं। ये वो मामले हैं जिनमें 42 साल के राय को आरोपी बनाया गया है और अदालतों ने मामले का संज्ञान लिया है। हलफनामे में उनके द्वारा सूचीबद्ध लंबित मामलों में चंदौली में विशेष गैंगस्टर अधिनियम न्यायालय में 1995 का एक मामला और वाराणसी में विशेष गैंगस्टर अधिनियम न्यायालय के समक्ष 2010 का एक अन्य मामला शामिल है। अन्य मामले ज्यादातर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत 2008-2011 के बीच के मामलों से संबंधित हैं। ये मामले आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 307, 323, 435, 452, 427, 102 और 120 समेत अन्य के तहत हैं। इन मामलों में अजय राय के खिलाफ हत्या के प्रयास, शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान, आपराधिक धमकी, दंगा, घातक हथियार से लैस होकर दंगा करना, स्वेच्छा से चोट पहुंचाना, शरारत से नुकसान पहुंचाना और चोट पहुंचाने, हमला करने की तैयारी के बाद घर में अतिक्रमण करने से संबंधित हैं।
भाई के हत्यारे अंसारी से मिलाया हाथ, हुआ जबरदस्त विरोध
चर्चित अवधेश राय हत्याकांड में वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। लेकिन क्या आपको पता है कि अजय ने जिस भाई की लड़ाई 32 साल लड़ी उसी के हत्यारे मुख्तार से राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा चुनाव में हाथ भी मिलाया था। अवधेश राय की हत्या 3 अगस्त 1991 को वाराणसी में गोली मार कर कर दी गई थी। अवधेश कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक अजय राय के भाई थे। साल 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले लोकसभा एवं विधासभा क्षेत्रों का परिसीमन हुआ और कोलासला का नाम बदलकर पिंडरा कर दिया गया। लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा और अजय राय ने पिंडरा विधानसभा सीट पर कांग्रेस का झंडा बुलंद कर दिया। इसके बाद तो अजय राय पूरी तरह से कांग्रेसी हो गए। दो साल बाद साल 2014 का लोकसभा चुनाव आ गया और पार्टी ने उन्हें भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिकट देकर बड़ा दांव खेला। राय कांग्रेस के उम्मीदवार तो हो गए पर कांग्रेस ने राय के प्रबल प्रतिद्वंद्वी मुख्तार अंसारी से हाथ मिला लिया। बस क्या था, पूरे संसदीय क्षेत्र में अजय राय और मुख्तार की दोस्ती के पर्चे छप गए। इसके बाद अजय राय को अपनी ही बिरादरी और घर में विरोध झेलना पड़ा। चुनाव में अजय राय बुरी तरह से हार गए। वह मोदी, और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के बाद तीसर नंबर पर रहे।