Bihar News में बिहार पुलिस की उस करस्तानी की चर्चा जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। सरल भाषा में समझिए कि एक ही आवेदन पर 6 साल में एक ही आरोपी के खिलाफ 2 एफआईआर दर्ज की गई है।
बिहार पुलिस की करस्तानी से वैसे तो आप वाकिफ ही होंगे। हर रोज एक नई कहानी सामने आती है। हर रोज एक नया तमाशा देखने को मिलता है। आज हम आपको जो कहानी बताने जा रहे हैं उसे सुनकर और जानकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। फर्ज कीजिए कि आप किसी केस में आरोपी हैं। आपके खिलाफ किसी व्यक्ति ने आवेदन दिया। अगर इस आवेदन पर 6 साल में दो बार फिर एफआईआर दर्ज की जाए तो फिर आपकी हालत कैसी होगी? कुछ ऐसी ही हालत हो गई है मुजफ्फरपुर के एक व्यक्ति की। पूरा मामला मुजफ्फरपुर के अहियापुर थाना इलाके का है।
एक कंप्लेन : 6 साल में 2 बार FIR, मचा हड़कंप
मुजफ्फरपुर पुलिस की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। इस लापरवाही को जानकार हर कोई हैरान है। एक ही कंप्लेन पर 6 साल बाद दूसरी बार प्राथमिकी दर्ज की गई है। दूसरी बार केस दर्ज होने के कारण पीड़ित परिवार सदमे में हैं। पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के आरोपित पर दूसरी बार केस दर्ज कर मामले को उलझा दिया है। इस कारनामे से पुलिस महकमे में भी खलबली मच गई है। पुलिस की इस कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।
बलात्कार के प्रयास से जुड़ा है मामला, पुलिस की कार्रवाई से उड़ी नींद
अहियापुर थाना क्षेत्र के भीखनपुरा के एक गांव की महिला ने 12 सितंबर 2016 को अपनी बेटी के साथ बलात्कार के प्रयास का आरोप लगाते हुए अपने पड़ोसी राकेश सहनी के उपर मुजफ्फरपुर के पॉक्सो कोर्ट में एक परिवाद दायर किया था। पॉक्सो कोर्ट के आदेश पर अहियापुर थाना के द्वारा कांड संख्या 595/16 दर्ज कर कार्रवाई शुरू की गई। जिसके बाद आरोपित बनाए गए राकेश सहनी ने जमानत ले ली। इस बीच दोबारा 6 साल के बाद उसी थाने में आवेदन पर एक बार फिर से 23/12/ 2022 को एफआईआर दर्ज कर ली गई। इस बार एफआईआर की संख्या 1194 /22 है। इस मामले को लेकर पीड़ित परिजन काफी परेशान हैं। पीड़ित ने न्यायलय का दरवाजा खटखटाया है और न्याय की गुहार लगाई है।
पुलिस ने की है गलती, कोर्ट को गुमराह किया : अधिवक्ता
आरोपी राकेश के अधिवक्ता सुमित कुमार सुमन का कहना है कि दोनों कांडों में एक ही सूचक द्वारा राकेश सहनी को आरोपी बनाया गया है। यह बिल्कुल गलत है। एक ही घटना में पहली प्राथमिकी 12 सितम्बर 2016 को और दूसरी प्राथमिकी छह साल के बाद 23 दिसम्बर 2022 को दर्ज की गई। रिकॉर्ड देखने से पता चलता है कि थाने ने न्यायालय को सही रिपोर्ट नहीं दिया गया। इस वजह से मजिस्ट्रेट ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दे दिया। अगर पुलिस सही जानकारी देती तो विवादित प्राथमिकी दर्ज ही नहीं होती। अहियापुर थाने द्वारा अग्रेषित की गई गलत और भ्रामक सूचना के आधार पर दूसरी बार प्राथमिकी दर्ज की गई है।
मामले की हो रही जांच : सिटी एसपी
मुजफ्फरपुर के सिटी एसपी अवधेश दीक्षित का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है। जांच की जाएगी कि कैसे 6 साल के बाद पुराने आवेदन पर एफआईआर दर्ज कैसे कर ली गई।