Bihar News में खबर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक और राजभवन के बीच जारी टकराव से जुड़ी हुई। एक बार फिर पाठक को राजभवन ने अपनी ताकत दिखाई है।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक और राजभवन के बीच टकराव में एक बार फिर पाठक को तगड़ा झटका लगा है। स्कूल के बाद विश्वविद्यालय को अपने कंट्रोल में लेने की कोशिश कर रहे पाठक लगातार झटका खा रहे हैं। एक तरफ जहां पाठक विश्वविद्यालयों के वीसी को मीटिंग में बुलाने की तारीख तय करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ राजभवन विश्वविद्यालयों को इस मीटिंग में शामिल होने की अनुमति नहीं देता है।
तीसरी बैठक में पाठक को तीसरा झटका
विश्वविद्यालयों को अपने हिसाब से चलाने की कोशिश कर रहे केके पाठक को यह लगातार तीसरा झटका है। क्योंकि शिक्षा विभाग ने 15 मार्च को एक बार फिर से विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों की तीसरी बैठक बुलाई है। इससे पहले दो और बैठकें बुलाई जा चुकी हैं। लेकिन इन दो बैठकों में भी किसी विश्वविद्यालय की ओर से कोई शामिल नहीं हुआ था। पहली बैठक की तारीख पर जब विश्वविद्यालयों ने बैठक में शामिल होने से इनकार किया तो कई कुलपति, कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। शायद केके पाठक को यह उम्मीद थी कि एफआईआर के बाद विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि बैठक में आ जाएंगे। लेकिन 9 मार्च को बुलाई गई दूसरी बैठक भी पाठक के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं थी। इस बैठक में भी किसी विश्वविद्यालय ने शामिल होने की जहमत नहीं उठाई। लिहाजा 15 मार्च को तीसरी बार बैठक की तारीख तय की गई। अब राजभवन की ओर से एक बार फिर विश्वविद्यालयों को इस बैठक में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई है। ऐसे में यह केके पाठक के लिए हैट्रिक झटका है।
राज्यपाल के क्षेत्राधिकार में जबरन एंट्री ले रहे पाठक?
केके पाठक के आदेश पर विभाग सबसे पहले 28 फरवरी, फिर 9 मार्च और उसके बाद 15 मार्च को बैठक की तारीख तय की थी। वैसे तो तय तारीख के अनुसार बैठक कल यानी शुक्रवार को होनी है। लेकिन राजभवन ने पहले ही विश्वविद्यालयों को बैठक में शामिल होने की अनुमति नहीं देकर केके पाठक को साफ संकेत दे दिया है कि वे राज्यपाल के क्षेत्राधिकार में ना पड़े। इसके पहले भी राजभवन ने आदेश जारी करते हुए कहा था कि कुलपति के मामले में सक्षम प्राधिकार कुलाधिपति (राज्यपाल) हैं। आदेश का पालन नहीं करने वालों पर राजभवन की ओर से कार्रवाई की जाएगी। राजभवन के इस आदेश के बाद केके पाठक और राज्यपाल के बीच टकराव बढ़ता ही जा रहा है।