Bihar News में पूर्व डीजीपी एसके सिंघल फिर से चर्चा में हैं। अपने कारनामे के लिए मशहूर सिंघल को इस बार एक इंस्पेक्टर ने मात दी है। पूर्व डीजीपी के फैसले को अवैध करार देते हुए हाई कोर्ट ने जो कहा वो नजीर बन गया।
बिहार के मशहूर पूर्व डीजीपी एसके सिंघल। सुर्खियों में रहना तो सिंघल साहब की फितरत है। फर्जी न्यायाधीश के फोन कॉल पर आईपीएस आदित्य कुमार को क्लीन चिट देने की बात हो या फिर सिपाही भर्ती परीक्षा में धांधली के बाद कठघरे में खड़ा होना पड़े, एसके सिंघल हमेशा ऐसे ही कारनामों कारण सुर्खियों में रहते हैं। अब एक बार फिर सिंघल साहब की चर्चा हो रही है। इस बार उनके एक आदेश को पटना हाई कोर्ट ने अवैध करार दे दिया है। इस केस में एक इंस्पेक्टर की जीत हुई है और पूर्व डीजीपी की हार हुई है।
इंस्पेक्टर को दिया जबरिया रिटायरमेंट : निर्दोष से दोषी बनने तक की कहानी
मूल रूप से बेगूसराय जिले के बखरी थाना इलाके के रहने वाले इंस्पेक्टर अविनाश चंद्र मुजफ्फरपुर के मीनापुर थाने में पोस्टेड थे। शराब के केस में आरोपित के भाग जाने के बाद इंस्पेक्टर अविनाश को तत्कालीन डीजीपी एसके सिंघल के आदेश पर अनिवार्य सेवानिवृति दे दी गई। सबसे पहले 26 नवंबर 2020 को विभाग ने इंस्पेक्टर अविनाश चंद्र को सस्पेंड किया। फिर 4 दिसंबर 2020 से अविनाश के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई। डीएसपी की जांच रिपोर्ट में इंस्पेक्टर अविनाश चंद्र पर लगे आरोप साबित नहीं हुए। लेकिन पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर सीतामढ़ी के तत्कालीन एसपी ने इस केस की जांच की। सीतामढ़ी एसपी ने 3 दिसंबर को 2021 को सौंपी अपनी रिपोर्ट में अविनाश चंद्र को दोषी करार दिया। इसी रिपोर्ट के आधार पर तिरहुत रेंज के आईजी ने 16 दिसंबर 2021 को अविनाश से स्पष्टीकरण मांगा। फिर 7 दिसंबर 2021 को एक आदेश जारी करते हुए एक साल तक वेतन बढ़ोतरी पर रोक लगा दी गई। मामला उस वक्त सुर्खियों में आ गया जब 8 सितंबर 2022 को पुलिस महानिदेशक ने इंस्पेक्टर अविनाश चंद्र को जबरिया रिटायर कर दिया।
हाई कोर्ट की सख्त टिपण्णी : फैसला दुर्भावना पूर्ण, डीजीपी का आदेश अवैध, बहाली के साथ बकाया भुगतान करें
पटना हाई कोर्ट में इंस्पेक्टर अविनाश चंद्र और बिहार पुलिस के बीच लंबी दलील चली। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान डीएसपी की पहली जांच रिपोर्ट के बाद ही पास से ही इंस्पेक्टर अविनाश चंद्र को दोषी साबित कर नौकरी से हटाने की प्रक्रिया के दौरान दुर्भावना पूर्ण रवैया अपनाने की बात कही। कोर्ट ने कहा कि आईजी के आदेश के 6 महीने के अंदर डीजीपी उस आदेश की समीक्षा कर सकते थे। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। बिना किसी आधार के अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई। यह नियम के खिलाफ है। कोर्ट ने तत्कालीन डीजीपी एसके सिंघल के आदेश को अवैध कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने पुलिस मुख्यालय और राज्य सरकार को आदेश दिया है कि अविनाश चंद्र की सेवा को बहाल किया जाए और जब से उन्हें हटाया गया है तब से अब तक का सभी बकाया भी उन्हें दिया जाए।
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