Bihar News में खबर Bihar Politics की। चर्चा है कि बीजेपी ने खेला कर दिया है। तेजस्वी की कुर्सी जा रही है। लेकिन, थोड़ा रुक जाइए। क्योंकि खेल में असल मोहरा तो आरजेडी ने चला है।
बिहार में नीतीश सरकार गिरने वाली है। बीजेपी के साथ मिलकर नीतीश सरकार बनाने जा रहे हैं। आरजेडी खेमे में खलबली है…। ऐसी सुर्खियों को सुनकर अगर आप ये सोच रहे हैं कि सियासत के चाणक्य सिर्फ बीजेपी में हैं तो ये खबर आपकी गलतफहमी दूर कर देगी। क्योंकि असल खेल तो लालू यादव ने कर दिया है। अब खतरा तेजस्वी की कुर्सी को नहीं, बीजेपी और जेडीयू को है। क्योंकि आरजेडी खेमे में चल रही मीटिंग, नीतीश को मनाने के लिए नहीं, बल्कि बहुमत का जादुई आंकड़ा जुटाने के लिए हो रही थी। आरजेडी से जुड़े सूत्रों ने दावा किया है कि बहुमत के जादुई आंकड़े को जुटाने का खेल चल रहा है। आरजेडी उस आंकड़े से महज कुछ पायदान पीछे है। अगर लालू यादव अपने तिकड़म में सफल हुए तो तेजस्वी का सीएम बनना तय हो जाएगा। हालांकि, नीतीश के एक दाव से आरजेडी खेमा डरा हुआ भी है।
फैक्ट 1 : कर्पूरी ठाकुर के बहाने नीतीश का लालू परिवार पर निशाना, रोहिणी का पोस्ट देख तिलमिलाए नीतीश
कल जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर सीएम नीतीश ने परिवारवाद पर प्रहार किया। इशारा लालू परिवार पर था। केंद्र की मोदी सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान कर नीतीश के सामने गुगली फेंकी। फिर लालू की बेटी रोहिणी ने नीतीश पर सीधा हमला बोलते हुए सोशल मीडिया पर धराधर पोस्ट किया। नीतीश ने पोस्ट को खुद देखा और तिलमिला उठे।
फैक्ट 2 : कैबिनेट की मीटिंग में नीतीश ने दिखाए तेवर, भांप गए तेजस्वी
आज सीएम नीतीश की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक महज 15 मिनट में निपट गई। मीटिंग के बाद मीडिया को ब्रीफ नहीं करना और तेजस्वी को बगैर दुआ-सलाम किए निकलना, कहानी साफ कर गया। तेजस्वी यादव ने नीतीश को मन को भांप लिया।
फैक्ट 3 : नीतीश ने भाजपा को दिया इशारा, बीजेपी ने नेताओं को किया दिल्ली तलब
सीएम नीतीश आरजेडी के रैवए और पार्टी के टूटने के डर से इस कदर परेशान हुए कि उन्होंने तुरंत सिग्नल बीजेपी को भेज दिया। लिहाजा सुशील मोदी, सम्राट चौधरी, बिहार प्रभारी विनोद तावड़े को दिल्ली तलब किया गया। गृह मंत्री अमित शाह के साथ तीनों नेताओं की मीटिंग तय है। इस मीटिंग में सरकार बनाने समेत अन्य उथल-पुथल पर चर्चा होनी है।
फैक्ट 4 : लालू खेमे में जादुई आंकड़ा जुटाने की जद्दोजहद
राबड़ी आवास पर चल रही बैठक को लेकर मीडिया में ये खबर है कि लालू खेमा बेचैन है। सत्ता जाने का डर सता रहा है। लेकिन…। कहानी कुछ और ही है। मीटिंग में शामिल एक विधायक ने बताया कि आरजेडी बैकफुट पर खेलने के बजाए छक्का लगाने की तैयारी कर रही है। 243 विधानसभा सीट वाले बिहार विधानसभा में बहुत का आंकड़ा 122 है। आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट की सीटों को मिलाकर 114 विधायक पूरे होते हैं। ऐसे में सरकार बनाने के लिए 8 और विधायक चाहिए। लालू खेमा इस वक्त 8 विधायकों को जुटाने में माथापच्ची कर रहा है। कहा जा रहा है कि लालू यादव खुद 8 विधायकों को समेटने की कोशिश कर रहे हैं। लालू की नजर जीतन राम मांझी के 4 विधायक, एआईएमआईएम के एक विधायक और निर्दलीय सुमित सिंह पर है। अगर लालू इन्हें मिला भी लें तो 2 विधायकों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में जेडीयू के विधायकों के टूटने की खबर भी सामने आ रही है। वैसे लालू के लिए जादुई आंकड़े को छूना आसान नहीं है। लेकिन राजनीति में किसी भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। क्योंकि कुछ दिनों पहले ये खबर भी आई थी कि जेडीयू के आधा दर्जन विधायकों को तोड़ने की कोशिश हुई है। हालांकि, इन्हीं में से एक विधायक ने सीएम नीतीश को इस खेल की जानकारी दे दी थी।
फैक्ट 5 : जेडीयू टूटा तो होगी दिक्कत, विधानसभा भंग करना ही विकल्प
बिहार विधानसभा में मौजूदा विधायकों की संख्या वही नहीं है, जो 2020 चुनाव परिणाम में था। भाजपा ने तब 74 सीटें जीती थीं। इसके बाद उसने उप चुनाव में राजद से कुढ़नी विधानसभा सीट छीन ली। इन दोनों को मिलाकर भाजपा की संख्या 75 होती है, लेकिन इस बीच उसने विकासशील इंसान पार्टी के तीनों विधायकों को अपनी पार्टी में मिला लिया। चूंकि, तीन ही विधायक थे इसलिए दल-बदल के कारण उनकी सदस्यता कायम रही। इस तरह भाजपा के पास अभी 78 विधायक हैं। राजद ने 2020 के विधानसभा चुनाव में 75 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उसमें से वह कुढ़नी सीट उप चुनाव में हार गई। इस तरह उसके 74 होते, लेकिन बोचहां सीट उप चुनाव में उसके नाम रही। इस तरह उसके विधायकों की संख्या वापस 75 होती। लेकिन, राजद ने असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के पांच में से चार विधायकों को अपने साथ कर लिया। इस तरह राजद की संख्या 79 है। जहां तक तीसरे नंबर की पार्टी जदयू का सवाल है तो उसने 43 सीटों पर चुनाव जीता था। इसके बाद बहुजन समाज पार्टी के एक और लोजपा के एक विधायक को अपने साथ कर लिया। इस तरह उसके पास 45 विधायक हैं। इसके अलावा एक निर्दलीय भी साथ है। ओवैसी की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष इकलौते विधायक के रूप में विधानसभा में हैं। आंकड़ों के लिहाज से तो बीजेपी और जेडीयू को मिलाकर बहुमत का आंकड़ा पूरा हो रहा है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या जेडीयू के भीतर टूट की आशंका सही है? अगर ऐसा है तो बीजेपी और नीतीश के लिए सत्ता की राह आसान नहीं होगी। नीतीश को मालूम है कि लालू जादुई आंकड़ा जुटाने की कोशिश में हैं। ऐसे में लालू को बगैर समय दिए विधानसभा भंग करना ही नीतीश की लिए सबसे बड़ी चाल होगी।
अगर बिहार विधानसभा भंग हो जाती है और बीजेपी का साथ जेडीयू को नहीं भी मिलता है तो जल्द विधानसभा चुनाव भी हो सकते हैं। माना जा रहा है कि अगर ऐसा हुआ तो कहीं लोकसभा और विधानसभा के चुनाव बिहार में एक साथ ना हो जाएं। नीतीश कुमार और लालू की पार्टी आरजेडी में बढ़ती खटास के बीच विधानसभा का भंग होना लगभग तय माना जा रहा है।