K K Pathak गजब ही हैं। गजब करते भी हैं। इनके इस गजब रवैए से शिक्षा विभाग में कुछ हो, न हो; लेकिन खबरें खूब आती हैं। इस बार उनका गायब होना सुर्खिया में है।
Bihar News में लगातार छाए रहते हैं केके पाठक
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक फिर चर्चा में हैं। कभी गालीबाजी के कारण, कभी शिक्षकों का वेतन रोकने या उन्हें निलंबित-बर्खास्त करने के कारण, कभी शिक्षा मंत्री तो कभी जिलाधिकारी से टकराने के कारण और इन दिनों बिहार के राज्यपाल से सीधे भिड़ने के कारण। यह भिड़ंत ऐसी है कि राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर आजिज आ गए हैं। पटना हाईकोर्ट को दखल देना पड़ा। लेकिन, फिर गैरहाजिरी का तोड़ सामने आया। विभागीय अधिकारी ने कहा कि केके पाठक बीमार हैं। वैसे, ऐसा पहली बार नहीं है। वह तो हाईकोर्ट में तलब किए जाने पर भी इस तरह गायब रहने की हिमाकत कर चुके हैं। इसलिए, वह बीमार हैं या नहीं- कोई इसकी पुष्टि करने नहीं आ रहा है। अधिकारी सिर्फ कहा हुआ सुना रहे हैं।
High Court ने आदेश दिया, फिर भी नहीं आए केके पाठक
पटना हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को कुलपतियों के साथ बैठक में शामिल होने का आदेश दिया था। यह बैठक पटना के एक बड़े होटल में हुई, लेकिन पाठक नहीं आए। केके पाठक के हवाले से शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों के शिक्षकों-कर्मियों का वेतन-पेंशन रोक रखा है। पहले तो खाते के संचालन पर भी रोक लगा रखी गई थी, लेकिन जब पाठक ने राज्यपाल, यानी कुलाधिपति की बात नहीं मानी तो पटना हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया। इसपर बैंक खाता का संचालन तो चालू हो गया, लेकिन वेतन-पेंशन मद की राशि नहीं दी गई। इसके कारण कुलपतियों के साथ पूरे राज्य के विश्वविद्यालयकर्मियों में गहरी नाराजगी है। यह नाराजगी सरकार के खिलाफ भी जा रही है, लेकिन केके पाठक आदर्श आचार संहिता का फायदा समझते हैं कि अभी मुख्यमंत्री भी उन्हें बुलाकर फटकार नहीं सकते। नतीजा, वह अपने रवैए पर कायम हैं। उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश पर हुई बैठक से बाहर रहकर मैसेज भेज दिया कि बीमार होने के कारण नहीं आ सके।
तब Patna High Court ने सख्ती कर बुलाया, फटकार लगाई थी
केके पाठक बिहार की तत्कालीन महागठबंधन सरकार में शिक्षा मंत्री को हटवाने के बाद से पूरे रौ में हैं। इसलिए, उन्होंने राज्यपाल को लिखित सीख दी थी कि वह अपने स्तर का आदेश मुख्यमंत्री के जरिए उनतक भेजें और कुलाधिपति के रूप में तो वह शिक्षा विभाग के मातहत एक अधिकारी मात्र हैं। मतलब, उनसे नीचे ही हैं। राज्यपाल से टकराने पर भी उनका कुछ नहीं बिगड़ा तो अब वह हाईकोर्ट के आदेश पर स्वास्थ्य कारण बता गए। लेकिन, पटना हाईकोर्ट के सीनियर अधिवक्ता इस बात पर एक वाकया सुनाते हैं। वह बताते हैं कि करीब 18-19 साल पहले जब केके पाठक बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी के सर्वेसर्वा थे तो राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल (Patna Medical College Hospital) से ब्लड बैंक हटाने का आदेश दिया था। तब हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर उन्हें तलब किया था तो पाठक ने अपने मातहत अधिकारी को इसी तरह भेजकर स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया था। हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने उसी तारीख पर उनके डिप्टी को फटकार लगाते हुए दो-तीन दिन बाद की तारीख पर सशरीर हाजिर कराने कहा था। तब पाठक हाजिरी भी हुए थे और लिखित में अपने आदेश को लेकर माफी भी मांगी थी।