Bihar News : सीएम के PS दीपक कुमार की बेटी ईशा वर्मा को फूफा IAS आनंद किशोर ने पहुंचाई मदद, सांसद सुधाकर सिंह का सनसनीखेज आरोप

रिपब्लिकन न्यूज, पटना

by Jyoti
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Bihar News : मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार और वित्त विभाग के प्रधान सचिव आईएएस आनंद किशोर के बीच रिश्तेदारी का फायदा दीपक कुमार की बेटी ईशा वर्मा को मिला। यह संगीन आरोप राजद के सांसद सुधाकर सिंह ने लगाए हैं।

सांसद सुधाकर सिंह ने लगाए संगीन आरोप

Nitish Kumar : सीएम के प्रधान सचिव की बेटी ईशा वर्मा पर सांसद सुधाकर सिंह का खुलासा

बिहार बजट की घोषणा के बाद बक्सर से राजद के सांसद सुधाकर सिंह ने सरकार पर कई संगीन आरोप लगाए थे। गुरुवार को उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार की बेटी ईशा वर्मा (Isha Verma) को आर्थिक मदद पहुंचाने का आरोप लगाया था। इसमें उन्होंने आईएएस आनंद किशोर पर भी कई गंभीर आरोप लगाए थे। इस बीच एक बार फिर सुधाकर सिंह ने बिहार में भ्रष्टाचार को लेकर कई गंभीर आरोप लगाते हुए पत्र जारी किया है।

Sudhakar Singh : बिना कानूनी प्रक्रिया के दिया टेंडर, रिश्तेदारी का उठाया फायदा

आरजेडी सांसद सुधाकर सिंह ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार की बेटी और बोधी सेंटर पर सस्टेनेबल ग्रोथ प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की मालिक इशा वर्मा को बिहार बजट में 25 करोड़ रुपए से बिहार ग्रीन डेवलपमेंट फंड की स्थापना करके आर्थिक लाभ पहुंचाई गई। उन्होंने कहा है कि वित्त विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर की शादी मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार की अपनी सगी बहन से हुई है। दोनों ही अधिकारी बेहद करीबी संबंधी हैं और वित्त विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर सेंटर फॉर सस्टेनेबल ग्रोथ प्राइवेट लिमिटेड की मालकिन इशा वर्मा के सगे फूफा हैं। सुधाकर सिंह के अनुसार, आनंद किशोर ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पारिवारिक सदस्य को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए ईशा वर्मा और उनकी कंपनी को वित्त विभाग में काम करने की अनधिकृत अनुमति बिना किसी टेंडर या कानूनी प्रक्रिया के दी है। अगर ईशा वर्मा की कंपनी ने वित्त विभाग से किसी प्रकार के सरकारी ठेके या काम के लिए आवेदन दिया भी था तो आनंद किशोर को इसे रोकना चाहिए था। क्योंकि यह सीधे तौर पर कनफ्लिक्ट आफ इंटरेस्ट का मामला था।

IAS Anand Kishore : फूफा आनंद किशोर ने दिलवाया करोड़ों का ठेका

सुधाकर सिंह ने पत्र में बताया है कि मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव की बेटी ईशा वर्मा को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट नाम की संस्था को साल 2023 के जुलाई महीने में करोड़ों रुपए का ठेका दिया गया और ईशा वर्मा को वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट में नौकरी दिलवाई गई। इसका मकसद यह था कि ईशा वर्मा वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट के प्रतिनिधि के तौर पर बिहार सरकार के अलग-अलग विभागों की बैठक में शामिल हो सके। सुधाकर सिंह का आरोप है कि ईशा वर्मा जुलाई 2023 से अपने पिता दीपक कुमार एवं फूफा आनंद किशोर के सहयोग से बिहार सरकार के अलग-अलग विभागीय बैठकों में सम्मिलित हो रही है। ईशा वर्मा को नौकरी और बिहार में प्रतिनिधित्व करने के लिए वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट को वित्त विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर के द्वारा करोड़ों रुपए का ठेका दिया गया। जिसकी पुष्टि बिहार सरकार के द्वारा वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट को किए गए वित्तीय भुगतानों से हो जाएगा। सुधाकर सिंह का दावा है कि दो आईएएस अधिकारी अपने घर के सदस्य को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। 2024 के दिसंबर महीने में ईशा वर्मा के द्वारा बोधी सेंटर फॉर सस्टेनेबल ग्रोथ प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई गई। बाद में वित्त विभाग के द्वारा कंसल्टेंसी का काम World Resources Institute से लेकर इशा वर्मा को दिया गया एवं 25 करोड़ रुपए की बिहार ग्रीन डेवलपमेंट फंड की घोषणा भी की गई। इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी ईशा वर्मा की कंपनी बोधी सेंटर फॉर सस्टेनेबल ग्रोथ प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा करवाए जाने की योजना बनाई गई।

IAS Deepak Kumar : वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट के प्रतिनिधि के तौर पर बैठकों में शामिल हो रही थी ईशा वर्मा

सुधाकर सिंह का दावा है कि ईशा वर्मा पहले वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट के प्रतिनिधि के तौर पर बैठकों में शामिल होती रही थी। इसलिए जब वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट की जगह इशा वर्मा और बोधी सेंटर फॉर सस्टेनेबल ग्रोथ प्राइवेट लिमिटेड को वित्त विभाग का काम देकर बैठकों में शामिल करवाया गया तो विभाग के किसी पदाधिकारी को इसकी भनक तक नहीं लगी। सुधाकर सिंह ने आरोप लगाया है कि इस पूरी साजिश में बिहार की गरीब जनता के पैसे का इस्तेमाल आनंद किशोर और दीपक कुमार के परिजनों को निजी लाभ पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि एनजीओ और प्राइवेट कंपनी के सांठगांठ से हुए करोड़ों रुपए के घोटाले की जांच के लिए वह CAG, भारत के लोकपाल, प्रधानमंत्री कार्यालय और संसद में जल्द ही ज्ञापन देंगे।

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