India News में भी ऐसा मामला शायद ही कभी सामने आया होगा, जब सेल्फी के चक्कर में एक साथ पांच की जान चली गई हो। ऐसे खतरों से बचने के लिए पढ़ें यह खबर।
है तो यह Bihar News, लेकिन देश-दुनिया के लिए यह सीख है। एडवेंचर में जीने वाली नई पीढ़ी के लिए बेहद गंभीर सीख है। उन सभी के लिए सबक है, जहां सेल्फी पोज़ (Selfie poses) के लिए नई पीढ़ी में अंधा क्रेज है। एक सेल्फी और कुछ लोगों के हिसाब से mirror selfie के क्रेज़ में एक साथ पांच लड़कियों की जान चली गई। इनमें तीन किशोरियां थीं और तीन नौजवान। बालिग होने के बावजूद सेल्फी का क्रेज घटा नहीं और फिर इसी चक्कर में पांचों की जान चली गई। इनमें तीन एक परिवार की और दो भी आपस में रिश्तेदार थीं। अंदाजा लगा सकते हैं कि इनके परिवारों में क्या बीत रहा होगा? नदी के पास यह समूह सेल्फी ले रहा था और फिर अनियंत्रित होकर लड़कियां एक-एक कर नदी में समा गईं। कोई खुद गिरी, कोई दूसरे को बचाने में तो कोई बदहवासी में। इनमें से किसी को जिंदा या मुर्दा बरामद नहीं किया जा सका है, क्योंकि इस समय सोन नदी भी उफान पर है और गहराई का अंदाजा लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है।
कहां-कैसे हुई यह घटना, पूरा विवरण आगे है
भोजपुर के नामी कोइलवर पुल से करीब पांच किलोमीटर दूर सोन नदी के तट पर चांदी बहियारा गांव के पास यह घटना शनिवार की शाम हुई। तीनों किशोरियां और दोनों युवतियां परिवार की महिलाओं के लिए जल लेने निकलीं और नदी पर सेल्फी भी लेने लगी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि एक का पैर फिसला और वह गिरने लगी। किसी को अंदाजा नहीं लगा कि सोन बालू के अवैध खनन के कारण वहां किस हद तक गहराई है। एक को गिरती देख, दूसरी ने उसे पकड़ा और फिर कैसे एक-एक कर पांचों सोन नदी में समा गईं- यह बताते हुए देखने वालों का भी गला भर आया। उन्हें नदी में समाते देख वहां मौजूद व्रती और महिलाएं चिल्लाने लगीं। कई लोग दौड़कर पहुंचे, लेकिन तब तक सोन की गहराई में पांचों गुम हो गई थीं। चांदी निवासी चितरंजन वर्मा की दो बेटी पूनम (16) और सुमन (15), उनके भाई देवेन्द्र वर्मा की बेटी अंजली (18) एक परिवार की थीं। जबकि, अनिता (21) और उसकी ममेरी बहन निशा (16) भी बह जाने वालों में थी।
सुबह गोताखोर लगे तो तीन लाशें निकलीं
लड़कियों के जिंदा मिलने की संभावना सुबह होते-होते खत्म हो गई। इलाके में चीत्कार मची रही। सुबह में गोताखोरों ने खोज शुरू की तो कुछ अंतराल पर तीन लाशें मिलीं। लाशें मिलने के बाद लोगों का जिला प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा। लोगों ने आरोप लगाया कि सूचना के बावजूद समय पर गोताखाेरों को नहीं भेजा गया, वरना शायद संभावना बचती।