Bihar News में बात बिहार के ऐसे करीब बारह हजार शिक्षकों की जो विभाग के रडार पर हैं। निगरानी विभाग ऐसे शिक्षकों की कुंडली खंगाल रहा है।
बिहार में शिक्षकों के लिए शायद समय ठीक नहीं चल रहा है। तभी तो अब करीब 12000 शिक्षक विभाग के रडार पर आ गए हैं। निगरानी विभाग इसकी जांच कर रही है। जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे भी हुए हैं। हालांकि यह पूरी जांच गोपनीय तरीके से की जा रही है। खास बात यह है की कई ऐसे शिक्षक भी मिले हैं जिनकी STET का मूल प्रमाण पत्र ही गायब है। इन टीचरों ने मूल प्रमाण पत्र गायब होने को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी से लेकर नगर निगम के कमिश्नर तक से गुहार लगाई है। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
15 साल से कर रहे नौकरी, अब नहीं मिल रहा फोल्डर
बिहार में 11,454 शिक्षक शिक्षा विभाग के रडार पर हैं। इसमें विजिलेंस डिपार्टमेंट को 7,909 नियोजित शिक्षकों के ही शैक्षणिक और अंक प्रमाण पत्र से जुड़े फोल्डर दी दिए जा सके हैं। बाकी बचे हुए टीचरों का फोल्डर अभी तक उपलब्ध नहीं कराया गया है। जल्द ही नियोजित शिक्षकों की सक्षमता परीक्षा है और इसके लिए उन्हें फॉर्म भी भरना है। बिहार में रडार पर वो नियोजित शिक्षक हैं जिन्हें सर्टिफिकेट लाओ नौकरी पाओ के आधार पर जॉब मिली थी। अकेले समस्तीपुर में 3,545 ऐसे टीचर हैं जिनकी जॉइनिंग फोल्डर अब तक विजिलेंस डिपार्टमेंट को नहीं मिली है। ये टीचर 15 साल से नौकरी कर रहे हैं।
11,454 शिक्षकों के प्रमाण पत्र की जांच, 7,909 नियोजित शिक्षकों के ही फोल्डर मिले
निगरानी विभाग पटना के DSP गौतम कृष्ण ने DPO Establishment को जांच से जुड़े वेब पोर्टल पर अपलोडेड (जो फोल्डर नहीं मिले हैं) की अटेस्टेड वेब कॉपी देने के लिए पत्र लिखा। लेकिन डिपार्टमेंट के स्तर पर अब तक इसे उपलब्ध नहीं करवाया गया है। अब समस्तीपुर में 11,454 शिक्षकों के प्रमाण पत्र की जांच की जानी है। इसमें निगरानी विभाग को 7,909 नियोजित शिक्षकों के फोल्डर ही दिए जा सके। समस्तीपुर में कुछ ऐसे टीचर भी हैं जो पहले शिक्षा मित्र थे।
फर्जी शिक्षकों के खिलाफ 8 साल से चल रही जांच, कई शिक्षकों का STET मूल प्रमाण पत्र गायब
फर्जी शिक्षकों की पहचान के लिए पिछले 8 साल से जांच चल रही है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद विजिलेंस साल 2006 से 2015 तक के नियोजित शिक्षकों (उच्चतर माध्यमिक, माध्यमिक), लाइब्रेरी हेड और प्राइमरी टीचरों की जांच कर रही है। शिक्षक बहाली में पिछले 8 साल से ऐसे शिक्षकों के फोल्डर ढूंढने की कोशिश की जा रही है। इनमें से कुछ शिक्षकों के तो STET के मूल प्रमाण पत्र ही नहीं मिल रहे। समस्तीपुर शहर में ही पिछले 8 साल से कार्यरत 12 मिडिल स्कूल टीचरों का STET का मूल प्रमाण पत्र ही गायब है। लाख कोशिशों के बाद भी ये नहीं मिल रहा। इन टीचरों ने इसको लेकर DEO और नगर निगम कमिश्नर तक से लिखित गुहार लगाई। आरोप है कि इसको लेकर अभी तक कोई पहल नहीं की गई है। समस्तीपुर नगर परिषद की नियोजन इकाई ने जरिए 2015 में इन शिक्षकों ने मिडिल स्कूल टीचर के पद पर जॉइन किया था। काउंसलिंग के दौरान ही इन्होंने STET पहले पेपर के सर्टिफिकेट की ऑरिजनल कॉपी दी थी।