DGP Bihar की कुर्सी किसे मिलेगी? आईपीएस लॉबी में इस मसले पर गहन मंथन। चल रहा है। आलम यह है कि पल-पल पासा पलट रहा है।
RS Bhatti बने CISF के DG, Bihar में DGP की कुर्सी पर घमासान
बिहार के डीजीपी आरएस भट्टी के सीआईएसएफ डीजी बनने के बाद डीजीपी (DGP Bihar) की कुर्सी पर घमासान छिड़ गया है। ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि सरकार डीजीपी के मसले पर कुछ तय नहीं कर पा रही है। डीजीपी की रेस में अब तक आईपीएस विनय कुमार का नाम सबसे आगे चल रहा था। उससे पहले आईपीएस शोभा अहोतकर टॉप कर रहीं थीं। लेकिन अब एक बार फिर पासा पलट गया है। गेम से बाहर माने जा रहे आईपीएस आलोक राज की एंट्री हो चुकी है। आईपीएस आलोक राज की एंट्री के पीछे की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। पहले ब्यूरोक्रेटिक लॉबी का आलोक राज पर सहमत नहीं होना और फिर आलोक राज का खुद को रेस से अलग कर लेना। अब एक बार फिर इस रेस में आलोक राज का सबसे आगे निकालने के पीछे कई कहानियां सामने आई हैं। लिहाजा सवाल अब भी बरकरार है कि बिहार पुलिस का अगला मुखिया कौन होगा?
Shobha Ohatkar पर क्या है सरकार का प्लान
डीजीपी की रेस में गुरुवार तक 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी विनय कुमार और 1990 बैच की आईपीएस शोभा अहोतकर का नाम सबसे आगे चल रहा था। माना जा रहा था कि आईपीएस विनय कुमार के नाम पर सहमति बन चुकी है। विनय कुमार के नाम को लेकर चर्चा इसलिए भी थी क्योंकि अगस्त महीने के पहले सप्ताह में उनकी मुलाकात सीएम हाउस में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधान सचिव दीपक कुमार से भी हुई थी। बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के डीजी विनय कुमार को लेकर ब्यूरोक्रेटिक लॉबी में आम सहमति बन चुकी थी। जबकि इससे पहले आईपीएस शोभा अहोतकर इस रेस में आगे थीं। होमगार्ड और फायर ब्रिगेड की डीजी शोभा अहोतकर उस वक्त पिछड़ती नजर आईं जब आईपीएस विनय कुमार का बुलावा सीएम हाउस से आया। ब्यूरोक्रेटिक लॉबी में शोभा अहोतकर के भी संबंध अच्छे रहे हैं। लेकिन उनकी कड़क मिजाजी को लेकर लॉबी थोड़े मुश्किलों में है। हालांकि एक चर्चा यह भी है कि महिला अधिकारी को डीजीपी बनाकर नीतीश सरकार आने वाले चुनाव में महिलाओं को एक बड़ा संदेश देने की तरकीब पर विचार कर रही है। खबर है कि गुरुवार की शाम ढलते-ढलते डीजीपी की कुर्सी के लिए इन दो आईपीएस के बीच एक बार फिर से आईपीएस आलोक राज की एंट्री हो चुकी है।
IPS Vinay Kumar व IPS Shobha Ohatkar में थी जंग, अचानक IPS Alok Raj की एंट्री
डीजीपी की रेस में गुरुवार तक 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी विनय कुमार और 1990 बैच की आईपीएस शोभा अहोतकर का नाम सबसे आगे चल रहा था। माना जा रहा था कि आईपीएस विनय कुमार के नाम पर सहमति बन चुकी है। विनय कुमार के नाम को लेकर चर्चा इसलिए भी थी क्योंकि अगस्त महीने के पहले सप्ताह में उनकी मुलाकात सीएम हाउस में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधान सचिव दीपक कुमार से भी हुई थी। बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के डीजी विनय कुमार को लेकर ब्यूरोक्रेटिक लॉबी में आम सहमति बन चुकी थी। जबकि इससे पहले आईपीएस शोभा अहोतकर इस रेस में आगे थीं। होमगार्ड और फायर ब्रिगेड की डीजी शोभा अहोतकर उस वक्त पिछड़ती नजर आईं जब आईपीएस विनय कुमार का बुलावा सीएम हाउस से आया। ब्यूरोक्रेटिक लॉबी में शोभा अहोतकर के भी संबंध अच्छे रहे हैं। लेकिन उनकी कड़क मिजाजी को लेकर लॉबी थोड़े मुश्किलों में है। हालांकि एक चर्चा यह भी है कि महिला अधिकारी को डीजीपी बनाकर नीतीश सरकार आने वाले चुनाव में महिलाओं को एक बड़ा संदेश देने की तरकीब पर विचार कर रही है। खबर है कि गुरुवार की शाम ढलते-ढलते डीजीपी की कुर्सी के लिए इन दो आईपीएस के बीच एक बार फिर से आईपीएस आलोक राज की एंट्री हो चुकी है।
Chief Secretary के सलेक्शन ने बदला गेम, 1989 का फॉर्मूला सेट
अब सवाल यह है कि डीजीपी की रेस से बाहर माने जा रहे आईपीएस आलोक राज अचानक रेस में शामिल कैसे हो गए? वह सिर्फ रेस में शामिल ही नहीं हुए, बल्कि रेस में सबसे आगे दौड़ने भी लगे हैं। ब्यूरोक्रेटिक लॉबी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आलोक राज की एंट्री के पीछे की वजह मुख्य सचिव का सलेक्शन फॉर्मूला है। मुख्य सचिव की कुर्सी के लिए चैतन्य प्रसाद, अमृतलाल मीणा और प्रत्यय अमृत के बीच जंग छिड़ी थी। लॉबी के ही कुछ आईएएस प्रत्यय अमृत के पक्ष में थे। ऐसे में फैसला हुआ की बीच का रास्ता निकालते हुए सबसे सीनियर अधिकारी को मुख्य सचिव की कुर्सी दे दी जाए। लिहाजा 1990 बैच के आईएएस चैतन्य प्रसाद मुख्य सचिव की रेस में पीछे रह गए और 1989 बैच के आईएएस अधिकारी अमृतलाल मीणा के नाम पर सहमति बन गई। अब क्योंकि मुख्य सचिव के चुनाव में वरीयता के हिसाब से अमृतलाल मीणा को कुर्सी दिए जाने की खबर है। ऐसे में बिहार पुलिस का मुखिया चुनने के लिए भी इसी फार्मूले को लगाया जा रहा है।
वरीयता के लिहाज से आईपीएस शोभा अहोतकर 1990 बैच की हैं। जबकि आईपीएस विनय कुमार 1991 बैच के अधिकारी हैं। वहीं आईपीएस आलोक राज इन दोनों से सीनियर हैं। 1989 बैच के आईपीएस आलोक राज विजिलेंस ब्यूरो के डीजी हैं। पिछली बार जब आरएस भट्टी को डीजीपी बनाया गया था, तब भी आलोक राज डीजीपी बनते-बनते रह गए थे। अब चुकी मुख्य सचिव की कुर्सी वरीयता के लिहाज से अमृत लाल मीणा को देने पर सहमति बनी है। ऐसे में डीजीपी की कुर्सी भी वरीयता के हिसाब से आलोक राज को दिए जाने की चर्चा चल रही है। ब्यूरोक्रेटिक लॉबी से जुड़े सूत्रों के अनुसार, आलोक राज बेहद शालीन अधिकारी हैं। उनका कभी किसी से टकराव नहीं देखने को मिला है। ऐसे में ब्यूरोक्रेटिक लॉबी आलोक राज के नाम पर सहमति जताने के लिए तैयार है। यहां दिलचस्प यह भी है कि मुख्य सचिव की रेस में टॉप कर रहे अमृतलाल मीणा 1989 बैच के आईएएस हैं। जबकि डीजीपी की रेस में आगे चल रहे आलोक राज भी 1989 बैच के आईपीएस हैं।
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[…] न्यूज’ ने आज सुबह ही बता दिया था कि आलोक राज के नाम पर लॉबी में सहमति बन गई […]