Bihar News : बिहार पुलिस के ASI और गैंगस्टर सरोज सिंह के पास बरामद अत्याधुनिक AK 47 और इंसास रायफल पैरा मिलिट्री फोर्स के हैं। जबकि कार्बाइन पर मेड इन चाइना लिखा है। सरोज का पॉलिटिकल कनेक्शन भी सामने आया है।
Bihar Police : निलंबित एएसआई सरोज के पास सरकारी हथियार, नेता से लिंक
बिहार पुलिस के निलंबित सहायक पुलिस अवर निरीक्षक और गैंगस्टर सरोज सिंह की गिरफ्तारी के साथ ही कई राज अब सामने आने लगे हैं। समस्तीपुर में स्पेशल टास्क फोर्स और जिला पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन के दौरान मोहद्दीनगर थाना इलाके से गिरफ्तार निलंबित एएसआई सरोज सिंह के पास से कई अत्याधुनिक हथियार बरामद किए गए थे। अब पुलिस की जांच में जो खुलासे हुए हैं, वह चौंकाने वाले हैं। बरामद एके-47 और इंसास राइफल रेगुलर हैं। इन हथियारों पर एक खास कोड लिखा मिला है। इन कोड के सहारे पुलिस इस नतीजे पर पहुंची है कि यह हथियार पुलिस विभाग या पैरा मिलिट्री फोर्स का हो सकता है। क्योंकि कोड से यह साफ हो रहा है कि यह हथियार सरकारी है और इसका इस्तेमाल पुलिस या पैरामिलिट्री फोर्स करती है। जबकि बरामद कार्बाइन पर मेड इन चाइना लिखा मिला है। ऐसे में सवाल यह है कि सरोज सिंह के पास पुलिस या पैरामीट्री फोर्स के हथियार कहां से आए? मेड इन चाइना कार्बाइन किसके जरिए मंगवाई गई? खास बात यह है कि सरोज सिंह एक पूर्व बाहुबली नेता का बॉडीगार्ड रहा है। इस दौरान हथियार तस्करों से उसके साथ रिलेशन डेवलप होने की बात सामने आई है। जांच के दौरान सरोज के पॉलीटिकल कनेक्शन भी सामने आए हैं। बिहार के एक बड़े क्षेत्रीय राजनीतिक दल के नेता से सरोज के कनेक्शन मिले हैं। पुलिस तमाम बिंदुओं पर तफ्तीश कर रही है।
Samastipur News : अत्याधुनिक AK 47 और इंसास पर मिले कोड, मेड इन चाइना है कार्बाइन
गैंगस्टर और ASI सरोज सिंह के ठिकानों पर 2 दिन पहले स्पेशल टास्क फोर्स ने छापेमारी की थी। वर्ष 2008 में बिहार पुलिस में भर्ती होने वाले पीटीसी सरोज सिंह को एएसआई में प्रमोशन मिला था। वर्ष 2014 से 2024 के बीच सरोज के खिलाफ समस्तीपुर के मोहद्दीनगर नगर थाने में कुल 9 आपराधिक मामले दर्ज हुए। लेकिन पुलिस महकमा इस बात से अनजान रहा। यही वजह है कि सरोज सिंह ने पुलिस डिपार्टमेंट में नौकरी करते हुए एक बड़ा गैंग खड़ा किया। सरोज के पास से बरामद एक-47 राइफल की लंबाई 14 अंगुल है। जबकि बॉडी की लंबाई 13 अंगुल है। बैरल की लंबाई 24 अंगुल मिली है। राइफल एक्सटेंशन रोड पर कोड 57650 और रोटेटिंग बोर्ड पर 66644 अंकित है। इसके साथ ही बॉडी पर 27 लिखा है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह सारे कोड ओरिजिनल हथियारों की कोडिंग होती है। ऐसे हथियार सिर्फ और सिर्फ सरकार की ओर से ही दिए जाते हैं। इसी तरह बरामद पॉइंट 306 राइफल की कुल लंबाई 67 अंगुल है। जबकि बट की लंबाई 22 अंगुल मिली है। राइफल के बॉडी की लंबाई 11 अंगुल और बैरल की लंबाई 34 अंगुल है। बॉडी पर भी एक कोड मिला है। यह कोड ओरिजिनल हथियारों पर ही अंकित होता है। ऐसे में यह साफ हो चुका है कि सरोज सिंह ने पुलिस या पैरा मिलिट्री फोर्स के हथियार चोरी किए थे या तस्कर से खरीदे थे। अब इस बात की तफ्तीश होनी है कि हथियार आखिर किसके जरिए मंगवाए गए थे। हथियारों पर मिले कोड के जरिए पुलिस जल्द ही यह पता लगाने में कामयाब हो जाएगी कि यह हथियार किसे आवंटित किया गया था।
Bihar Crime : पूर्व बाहुबली विधायक का था बॉडीगार्ड, पॉलिटिकल कनेक्शन मिला
पुलिस सूत्रों के अनुसार, सरोज का पॉलीटिकल कनेक्शन भी सामने आया है। बिहार के एक बड़े क्षेत्रीय पार्टी के नेता से उसके संबंध के सबूत मिले हैं। बड़ी बात यह है कि सरोज जब बिहार पुलिस में सिपाही था तब उसकी तैनाती एक पूर्व बाहुबली विधायक के पास बॉडीगार्ड के रूप में थी। कहा जा रहा है कि इसी दौरान हथियार तस्करों से उसकी पहचान हुई। गांव के दियारा इलाके की करीब 100 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा करने की उसकी साजिश लंबे समय से चल रही थी। इसी दौरान रास्ते में आने वाले लोगों को मौत के घाट उतारने का प्लान सरोज ने बनाया था। मोहद्दीनगर थाना अंतर्गत सुल्तानपुर के प्रिंस मुखिया और नवीन सिंह की हत्या की साजिश इसी जमीन के लिए रची जा रही थी। सरोज का पॉलीटिकल कनेक्शन भी पुलिस खंगाल रही है।
Saroj Singh ASI : जहानाबाद के दरोगा पहुंचे सरोज के गांव, फिर खुला रहस्य
बिहार पुलिस के निलंबित सहायक अवर निरीक्षक सरोज सिंह को उसके गैंग के अन्य 4 अपराधियों के साथ दबोचा गया। अत्याधुनिक AK 47, इंसास, कार्बाइन, .306 रायफल, सैकड़ों राउंड कारतूस और डेढ़ करोड़ कैश आदि बरामद किए गए। सरोज सिंह वर्ष 2008 बैच का पीटीसी है। वह फिलहाल असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर है। जहानाबाद के ट्रैफिक थाना में उसकी पोस्टिंग थी। करीब एक साल पहले उसे सस्पेंड किया गया था। 20 सितंबर 2024 को वह छुट्टी पर गया। फिर 12 अप्रैल 2025 तक वह ड्यूटी पर नहीं लौटा। तब जहानाबाद के एसपी ने जांच के आदेश दिए। जहानाबाद जिला पुलिस के सब इंस्पेक्टर उपेंद्र मिश्रा जांच के लिए समस्तीपुर में सरोज के गांव पहुंचे। फिर मोहद्दीनगर थाने गए। यहां उन्हें सरोज की क्रिमिनल हिस्ट्री मिली। पता चला कि 2013 से 2024 तक उसके खिलाफ आर्म्स एक्ट से लेकर हत्या के प्रयास समेत अन्य संगीन धाराओं में कुल 9 केस दर्ज हैं। इस मामले में 2 मई को उससे स्पष्टीकरण मांगा गया। इसी बीच स्पेशल टास्क फोर्स को जानकारी मिली कि मोहद्दीनगर थाना क्षेत्र के सुल्तानपुर निवासी प्रिंस मुखिया और नवीन सिंह के हत्या की साजिश रची गई है। एसटीएफ ने समस्तीपुर पुलिस के साथ ज्वाइंट ऑपरेशन किया। तब बिहार पुलिस का ही ASI और गैंगस्टर सरोज सिंह साथियों के साथ गिरफ्तार हुआ।
Bihar Police News : आखिर इतने दिनों तक कैसे बचता रहा सरोज? किसने बचाया?
सरोज सिंह के खिलाफ वर्ष 2014 से लेकर 2024 तक कुल 9 संगीन आपराधिक केस दर्ज हुए। ये सभी कांड मोहद्दीनगर थाना में ही दर्ज है। लाजमी है कि मोहद्दीनगर थाना को सरोज सिंह के पुलिस विभाग में नौकरी करने की खबर 2014 से ही होगी। फिर मोहद्दीनगर थाना ने पुलिस डिपार्टमेंट को इसके क्रिमिनल हिस्ट्री की जानकारी क्यों नहीं दी? आखिर कैसे सरोज सिंह के खिलाफ इतने मुकदमे दर्ज होने के बाद भी वह जेल के बजाए बाहर घूमता रहा? अगर जेल गया तो फिर उसकी नौकरी अब तक कैसे चलती रही? अगर मुख्यालय को उसकी क्रिमिनल हिस्ट्री पहले ही भेजी गई थी तो अब तक उसकी नौकरी और उसका साम्राज्य कैसे चलता रहा? सरोज के खिलाफ वर्ष 2014, 2018, 2020, 2022, 2023 और 2024 में लगातार आपराधिक मुकदमे दर्ज हुए। फिर इतने दिनों तक वह नौकरी कैसे करता रहा? मतलब, सैलरी पुलिस महकमे से लेता रहा और उसी पैसे से अपराधियों का बड़ा गैंग खड़ा कर गैंगस्टर बन गया। क्या इस बात से इनकार किया जा सकता है कि पुलिस महकमे में ही कोई तो ऐसा है जो उसके कुकर्मों की फाइल को नोटों के बंडल के नीचे दबाकर रखता था। अगर यहां सरोज सिंह के बजाए कोई आम इंसान होता तो इतने मुकदमे के बाद उसकी जिंदगी जेल में गुजर जाती, लेकिन रुल ऑफ लॉ तो देखिए। एक अपराधी इतने मुकदमों के बावजूद पुलिस विभाग में नौकरी भी करता रहा और खुद का गैंग भी चलाता रहा। कहा तो यह भी जा रहा है कि अगर आज एसटीएफ के मुठभेड़ में सरोज मारा जाता तो कई रहस्य उसकी लाश के साथ दफन हो जाते।