Bihar Bhumi : जमीनी विवाद का एक फैसला, जिसे पढ़कर आप सोचने को मजबूर हो जाएंगे। 9 धुर जमीन की लड़ाई में 9 बीघा जमीन बिक गई। 55 साल फैसला आया है। अब तक केस से जुड़े तीन वकीलों की मौत हो चुकी है। जबकि प्रतिवादी पक्ष के 4 लोग भी इस दुनिया को छोड़ जा चुके हैं।
Begusarai News : नौ धुर जमीन की लड़ाई दादा ने शुरू की, अब पोते को मिला न्याय
जमीन की लड़ाई। एक ऐसी जंग जहां जीत और हार प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जाता है। प्रतिष्ठा की लड़ाई में सबकुछ दांव पर लग जाए तो भी लड़ने वाले पीछे नहीं हटते। 9 धुर जमीन की इस लड़ाई में लड़ने वाले दोनों पक्ष की करीब 9 बीघा जमीन बिक गई। बेगूसराय में नौ धुर जमीन की लड़ाई दादा ने 1971 में शुरू की और पोते को न्यायालय से 55 साल बाद जीत मिली है।
Begusarai Bihar : 1971 में दर्ज हुआ केस, 2025 में आया फैसला
चेरिया बरियारपुर प्रखंड के भेलवा गांव के रहने वाला मंटून यादव ने कोर्ट के फैसले के बाद इस केस से जुड़ी दिलचस्प बातें बताई। दादा जगदीश यादव पर भेलवा गांव के यदु यादव ने नौ धुर जमीन पर जबरन कब्जा करने और घर बनाने से रोकने को लेकर साल 1971 में बेगूसराय न्यायालय में मामला दर्ज कराया था। जगदीश यादव का भेलवा नानी घर था। जगदीश यादव के मामा नहीं थे।
इस वजह से नानी की संपत्ति उन्हें मिली थी, लेकिन यदू यादव ने जगदीश यादव की 9 धुर जमीन पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया। जगदीश यादव ने निर्माण कार्य को रोक दिया। उसका कहना था कि यह जमीन उसकी है। जबकि यदु यादव ने मौखिक खरीदने की बात कह पहले 44, 45 और 88 की कार्रवाई की और फिर साल 1971 में बेगूसराय न्यायालय में टाइटल सूट मुकदमा कर दिया।
Bihar News Today : मुकदमा लड़ने वाले बुजुर्ग, तीन बेटे और तीन वकीलों की मौत
साल 1979 में टाइटल सूट जगदीश यादव ने जीत ली। इसके बाद 1980 में यदु यादव फिर अपील में चला गया। साल 1980 से 2025 में तक अपील का मामला विभिन्न न्यायालयों में चलता रहा। इस बीच जगदीश यादव की मौत हो गई। उसके तीन बेटे की मौत हो गई। अब उसके पोते मंटून यादव के पक्ष में न्यायालय का फैसला आया है। इस दरमियान मुकदमा लड़ने वाले तीन अधिवक्ताओं की भी मौत हो गई। अब प्रभात कुमार अधिवक्ता इस केस को लड़ रहे हैं। मंझौल अनुमंडल न्यायालय के एडीजे कोर्ट से प्रतिवादी जगदीश यादव के पक्ष में फैसला आया है। जबकि यदु यादव के वंशजों की अपील खारिज कर दी गई।
Bihar Bhumi : दोनों पक्षों को बेचनी पड़ी नौ बीघा जमीन
अधिवक्ता प्रभात कुमार ने बताया कि 1971 से यह मामला न्यायालय में चल रहा है। करीब 55 वर्षों के बाद यह फैसला प्रतिवादी के पक्ष में 17 मई 2025 को आया है। मुकदमा में विलंब के सवाल पर कहा कि वादी और प्रतिवादी की मौत के बाद लीगल वादी बनाने में समय लगा। अधिवक्ताओं की भी मौत हुई। न्यायालय में मुकदमों की बोझ अत्यधिक रहने की वजह से विभिन्न न्यायालयों से होते हुए यह मुकदमा यहां तक पहुंचा है और अब प्रतिवादी के पक्ष में फैसला आया है।
Bihar Land : जीत के बाद क्या कहा लंबी लड़ाई लड़ने वाले परिवार ने
प्रतिवादी जगदीश यादव के पोते मंटू यादव और राम भजन यादव ने बताया कि उनके दादा को नानी की खतियानी जमीन मिली थी। लेकिन उनके गोतिया के लोगों ने जबरन 9 धुर जमीन पर मुकदमा कर दिया। 55 साल के बाद न्यायालय से फैसला आया है। उन्हें खुशी है कि उनके पक्ष में यह फैसला आया है। हालांकि इस दौरान उनके दादा और पिता के द्वारा करीब 5 बीघा जमीन इस लड़ाई को लड़ने में बेचनी पड़ी। अब जाकर उनके पक्ष में 55 साल बाद यह फैसला आया है। बताया जाता है कि इस लड़ाई के दौरान वादी यदु यादव के परिवार वालों को भी पांच बीघा जमीन बेचनी पड़ी है।
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